बच्चों की आदतें कई बार माता-पिता के लिए परेशानियों का सबब बन जाती है। यहाँ बच्चों की बुरी आदतों का निवारण बताने की कोशिश करेंगे

बच्चों में स्वर विकास
बच्चों की बुरी आदतों का निवारण

बच्चों की बुरी आदतों का निवारण – रात को दांत किटकिटाता है [Bites teeth at night] :-

बच्चे का दांत किटकिटाना एक आदत है। बच्चे गहरी नींद में सोते समय दांत किटकिटाना है लेकिन यह तथ्य सभी माता-पिता को मालूम होना चाहिए कि दांत का किटकिटाना कीड़े की वजह से नहीं होता है। यादव जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है कम होती जाती है। इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है।

किसी का कहना नहीं मानता [no one obeys] :-

बच्चों की जिद्दी स्वभाव बच्चों में ज्यादा लाड प्यार करने की वजह से होता है। ऐसे बच्चों की काउंसलिंग करने की जरूरत पड़ती है। यह काम बच्चे के अध्यापक या नियमित डॉक्टर के द्वारा किया जा सकता है। ऐसे बच्चों को अनुशासित रखने की जरूरत है। उसकी केवल जायज मांगों को ही मानना चाहिए। अगर बच्चा कोई गलत काम करता है तो उसे डांटना चाहिए । डॉक्टर समय आपको गंभीर रहना है ताकि बच्चा इसकी अहमियत को महसूस कर सके।

बच्चा शैतानी करता है [child is evil] :-

अगर बच्चे को ज्यादा लाड प्यार किया जाए तथा उसकी हर बात को माना जाए तो इन बच्चों की माता-पिता से अपेक्षा काफी बढ़ जाती है। इसलिए जरा जरा सी बात नहीं मानने पर भी यह गुस्सा हो जाएंगे और चीजों को इधर-उधर फेंक कर घर वालों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करेंगे। अगर इन बच्चों को प्यार के साथ-साथ थोड़ा सा अनुशासन मेरा जाए तो सही रहता है। माता-पिता और दादा-दादी बच्चों की हरकतों के बारे में अन्य लोगों को बहुत खुशी के साथ बच्चे के सामने बताते हैं इससे बच्चे को प्रोत्साहन मिलता है। आवश्यकतानुसार बच्चे को ऐसी हरकतों के लिए डांटना भी चाहिए तथा किसी भी हालत में इस तरह की बातों की प्रशंसा पड़ोसियों या रिश्तेदारों में नहीं करनी चाहिए। कुछ बच्चों में इस तरह का व्यवहार एक बीमारी होती है जो हाइपर एक्टिव सिंड्रोम की वजह से भी हो सकती है। इन बच्चों में दिमागी कमजोरी के भी लक्षण होते हैं। ऐसे बच्चों के बारे में किसी विशेषज्ञ से अवश्य विचार विमर्श करना चाहिए।

बेटी मिट्टी खाती है [daughter eats clay] :-

लोगों में यह अंधविश्वास है कि बच्चे कैल्शियम की कमी की वजह से मिट्टी खाते हैं। ऐसा सर्वथा गलत है। इसमें कैल्शियम देने से कोई फायदा नहीं होगा। बच्चे में मिट्टी खाने की सबसे प्रमुख वजह है – मनोवैज्ञानिक कारण जैसे बच्चे का अकेलापन, माता-पिता द्वारा बच्चे का अपेक्षित महसूस करना, माता-पिता या अन्य किसी परिवारिक सदस्य का बच्चे के साथ शक्ति से बर्ताव करना, भाई बहन या दोस्त से अनबन। दूसरे वजह है बच्चे में आयरन की कमी से एनीमिया, जिससे बच्चे को खाने की आदत में विकार हो जाता है, बच्चे मिट्टी, काजल, कपड़ा इत्यादि खाने लगता है। धीरे धीरे राजा बढ़ जाती है। आप अपने बच्चों को पूरी तरह से जांच पड़ताल करके या निश्चित करें की क्या वजह है। उसके अनुसार ही बच्चे के इलाज की दिशा तय होगी।

बच्चा नाखून खाता है :-

बच्चे में मिट्टी या नाखून खाने की आदत के प्रमुख कारण है – एनीमिया और मनोवैज्ञानिक कारण है जैसे बच्चे का अकेलापन, बच्चे का अपने आप को उपेक्षित महसूस करना, भाई बहन या दोस्तों से अनबन इत्यादि। बच्चे की पूरी जांच पड़ताल करने के पश्चात ही कुछ निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। आपके द्वारा बताई गई बच्चे की अन्य समस्या उसकी प्रतिरोधक क्षमता कम होने की तरह इशारा करती है। इस उम्र के बच्चों का हर एक तीन माह पर किसी विशेषज्ञ द्वारा परीक्षण होना चाहिए

अंगूठा चूसने की आदत है:-

1 वर्ष के बच्चे में अंगूठा चूसने की आदत सामान्य है। यह आदत प्राकृतिक प्रक्रिया की तरह विकसित होती है क्योंकि बच्चा 4 या 5 माह की उम्र के बाद अंगूठे और उंगलियों को मुंह में ले जाता है। अगर उस समय बच्चे का उचित ध्यान न रखा जाए तो बचा अधिक से अधिक समय अंगूठा और उंगली को मुंह में रखकर एक आदत का महसूस करता है। प्राचीन काल से इस आदत को छुड़ाने के लिए माता-पिता बहुत तरह के उपाय करते आए हैं जैसे अंगूठे पर कड़वे पदार्थ का तेल रखना, अंगूठे पर पट्टी बांधना आदी। लेकिन इन सब पायो शिवबचा अंगूठा सूचना नहीं छोड़ता बल्कि इससे बच्चे के विकास पर प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है। इसलिए यह सब नहीं करना चाहिए पूर्णविराम इससे प्रमुख बात यह है कि इस तरह के बच्चों को सारा दिन किसी न किसी खेल प्रक्रिया में व्यस्त रखना चाहिए ताकि बच्चा अंगूठा चूसने के बारे में सोच ही ना पाए प्रोग्राम इसके बावजूद अगर कभी कभार अंगूठा मुंह में जाता है तो उसे प्यार से निकाल देना चाहिए। इस तरह अगर बच्चे की बोरियत दूर कर दी जाए तो बच्चा कुछ समय में अंगूठा जोशना छोड़ देगा।

बच्ची बाल खाती है :-

बच्चों में या आजाद ट्रकाकेटिलो मेनिया का लाती है । यह परेशानी यह आदत की वजह से बच्चे को है। इसका मुख्य कारण है भावनात्मक रूप से बच्चे को संतुष्ट ना मिलना। माता-पिता दोनों घर से बाहर काम करते हैं और बच्चे को समय नहीं दे पाते, आप माता पिता मैं अनबन की वजह से बच्चे की सभी देखभाल नहीं होती किसी बीमारी की वजह से किसी दो दोस्त भाई बहन के बिछड़ने से जरूरत की चीजें ना मिल पाने से उपेक्षित बच्चे एकाकीपन अध्यापक या माता-पिता का बहुत सख्त व्यवहार आदि। अब आपके कुछ ही सावधानीपूर्वक यह देखना है कि इसमें से कौन सा कारण है और फिर उस वजह को ठीक करना है । किसी बाल रोग विशेषज्ञ से मिलकर बच्चे की पूरी जांच पड़ताल भी करा ले क्योंकि कई बार इस तरह के बच्चे में और भी कोई बीमारी हो सकती है।

बेटा कागज खाता है :-

बच्चे में कागज खाना एक आदतन समस्या है पूर्णविराम आपके बच्चे की उम्र और बच्चे कागज कितने समय से खा रहा है इसका जिक्र नहीं किया है पूर्णविराम इससे आदत की गंभीरता का पता चल सकता है पूर्णविराम इस तरह के कागज खाने वाले बच्चों में कुछ मनोवैज्ञानिक समस्या होती है। जैसे माता-पिता द्वारा ध्यान ना दें या या अधिक लाड प्यार, भाई बहन या दोस्त से अनुबंध अध्यापक का अधिक यदि सख्त होना बच्चे का अकेलापन आदि।

बच्चा उखड़ा उखड़ा रहता है :-

जेअधिकतर बच्चे जो किसी लंबी बीमारी से गुजरती है जिद्दी स्वभाव के हो जाते हैं। क्योंकि बीमारी के समय घर घर वाले बच्चे की हर फरमाइश को तुरंत पूरा कर देते हैं प्रोग्राम उस समय यह आदत एवं सामान्य सी चीज लगती है। लेकिन बीमारी ठीक हो जाने के बाद यह आदत असमान लगती है। या आपके बच्चे के साथ है। सर्वप्रथम बच्चे को थोड़ा अनुशासन में रखें पूर्णविराम अगर बच्चा कुछ गलती करता या आपके बच्चे के साथ है। सर्वप्रथम बच्चे को थोड़ा अनुशासन में रखें पूर्णविराम अगर बच्चा कुछ गलती करता है तो उसे डांटे फोटोग्राफी से बच्चे का यह आभास होगा कि क्या गलती, क्या सही है। आवश्यकता से ज्यादा लाड प्यार बच्चे को जिद्दी बनाता है।

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