शंखपुष्पी एक पौधा है। इसके शंख के आकार के सफेद फूलों के कारण इसे शंखपुष्पी कहा जाता है। इसे क्षीरपुष्प, ‘मंगल्या कुसुमा’ भी कहा जाता है। यह पूरे भारत में पथरीली मिट्टी में जंगली रूप में पाया जाता है।

शंखपुष्पी एक प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग विभिन्न चिकित्सा समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। इसे मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाने, मन को शांति देने, एकाग्रता बढ़ाने और याददाश्त में सुधार करने के लिए उपयोगी माना जाता है।

शंखपुष्पी के कुछ मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:

Properties and benefits of Shankhpushpi
Properties and benefits of Shankhpushpi

याददाश्त बढ़ाने में मददगार

आयुर्वेद में शंखपुष्पी को नर्व टॉनिक का दर्जा दिया गया है। इसका कारण यह है कि इसमें टेरपेनोइड्स, फ्लेवोनोल ग्लाइकोसाइड्स, एंथोसायनिन और स्टेरॉयड जैसे तत्व पाए जाते हैं। अन्य औषधीय गुणों के साथ-साथ ये तत्व मस्तिष्क के विकास और याददाश्त बढ़ाने में भी मददगार साबित हो सकते हैं। इस कारण कमजोर याददाश्त की समस्या में शंखपुष्पी का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।

कमजोरी दूर करे

शारीरिक कमजोरी के साथ-साथ मानसिक कमजोरी को दूर करने में भी शंखपुष्पी के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, इस संबंध में ब्लड शुगर के मरीजों पर किए गए शोध में पाया गया कि शंखपुष्पी का सेवन करने वाले लोग न केवल मानसिक रूप से मजबूत पाए गए बल्कि शारीरिक रूप से भी उनमें काफी सुधार देखा गया (2)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि शंखपुष्पी का नियमित सेवन शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी मददगार साबित हो सकता है।

मानसिक संवेदनशीलता

मानसिक अतिसंवेदनशीलता मन की एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति की भावनाओं में संतुलन नहीं रहता। इस वजह से वह छोटी-छोटी बातों पर भावुक हो जाता है। पीड़ित व्यक्ति के मन में वर्तमान और भविष्य को लेकर कई तरह के अच्छे-बुरे विचार आने लगते हैं, जो गुस्से, अवसाद और चिंता के रूप में सामने आते हैं। इस संबंध में ब्लड शुगर की समस्या से पीड़ित मरीजों पर किए गए शोध में पाया गया कि शंखपुष्पी का सेवन मनुष्य में अत्यधिक भावुकता और भावनाओं को रोकने का काम करता है (2)। इस कारण यह माना जा सकता है कि मानसिक अतिसंवेदनशीलता की समस्या से निजात पाने में शंखपुष्पी के फायदे देखे जा सकते हैं।

अवसाद का इलाज

अवसाद की समस्या को दूर करने के लिए भी शंखपुष्पी का इस्तेमाल किया जा सकता है। शंखपुष्पी पर किए गए शोध में पाया गया है कि इसका सेवन चिंता, उदासी, डर और अवसाद जैसे विकारों में लाभकारी परिणाम दे सकता है। इस कारण से, यह माना जा सकता है कि यह अवसाद की समस्या को दूर करने के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

शंखपुष्पी कैसे पी जाती है?

आपको सुबह और शाम 2-4 ग्राम शंखपुष्पी चूर्ण को मक्खन या पानी के साथ पीना चाहिए। आप देखेंगे कि इसके नियमित सेवन से मधुमेह नियंत्रण में आ जाता है। शंखपुष्पी बालों के लिए भी बहुत अच्छी मानी जाती है। इसके सेवन से बालों में चमक आती है और बाल बढ़ने भी लगते हैं।

शंखपुष्पी का पौधा कहां मिल सकता है?

शंखपुष्पी की खेती उत्तर और दक्षिण पूर्व भारत में अधिक की जाती है। वर्तमान में इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में बड़े पैमाने पर किया जाता है। शंखपुष्पी का पौधा लगभग एक से डेढ़ फीट लंबा होता है। जिस पर रक्त जैसे लाल, सफेद और नीले रंग के फूल खिलते हैं।

शंखपुष्पी चूर्ण कैसे बनाएं?

शंखपुष्पी, वच और ब्राह्मी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार देने से पेचिश, हिस्टीरिया और उन्माद रोग से राहत मिलती है। 1 किलो शंखपुष्पी और 2 किलो चीनी को छाया में सुखाकर पीसकर छान लें।

कृपया ध्यान दें कि यहाँ सूचीबद्ध लाभ केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं और किसी भी चिकित्सा समस्या के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करना सबसे अच्छा होगा। इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना उचित है, विशेष रूप से गर्भावस्था, मधुमेह या किसी अन्य चिकित्सा स्थिति के दौरान।

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