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बच्चों-का-सही-विकास

हर पालक के मन में यह सवाल उठता रहता है कि बच्चों के सही विकास कैसे हो , तो आइये इस पर हम चर्चा करते हैं ,

बच्चों के सही विकास संबंधित जानने योग्य बातें :-

बच्चों के सही विकास

बच्चों के विभिन्न आयु स्तरों के साथ उनमें में होने वाली शारीरिक व मानसिक परिवर्तनों की जानकारी माता पिता के लिए आवश्यक है ताकि विकास की किसी भी तरह की अवरुद्धता का पता तुरंत लगाया जा सके तथा आवश्यक कदम उठाया जा सके क्योंकि ऐसा ना करने से स्थाई हो सकती है

शारीरिक विकास के लिए आवश्यक अवयव :-

1‌) गर्दन संभावना ; गर्दन ऊपर उठाना।

2) बैठना , करवट लेना

3) पेट के बल से रखना

4) घुटने चलना, खड़ा होना

5) चलना शुरू करना

6) भागना, सीढ़ियां चढ़ना, कूदना

7) अपने कपड़े पहनने में मां की सहायता लेना

दिमागी विकास :-

1) मुस्कुराना

2) माता-पिता की आवाज पहचानना

3 अजनबीयो से डरना

4) बोलने का प्रयास करना

5) जानवरों को पहचानना

6) रिश्तेदारों को पहचानना

7) आदेशों को पूरा करना

8) अपने आप से कुछ निर्णय लेना

बच्चों के विकास के महत्वपूर्ण स्तर

1 माहरंगीन वस्तुओं पर आंखें स्थिर करना, आवाज करने पर आंखें घुमा लेना या हाथ पैर सिकोड़ लेना।
1.5 माहहाथ पैर उठाना
3 माह –देख कर मुस्कुराना
6 माह –सिर को गर्दन पर संभाल लेना वह आवाज होने पर सिर घुमा कर देखना, मां को पहचान लेना
9 माह –सारे के साथ बैठना, एक हाथ से दूसरे हाथ वस्तु बदलना और हंसना
1 वर्ष –बिना सहारे के बैठ जाना, गर्दन को इधर-उधर घुमा लेना, किसी वस्तु को पकड़ लेना, टाटा या बाय बाय कर लेना
1.5 वर्ष –स्वयं खड़े हो जाना है व चलना, छोटे-छोटे शब्द बोल लेना, स्वयं चम्मच पकड़ कर खा लेना।

बच्चों के विकास संबंधी जिज्ञासा :-

बच्चे ने चलना शुरू नहीं किया

बच्चे आमतौर पर 12 से 14 महीने पर चलना शुरू कर देते हैं। बच्चे की चलने में देर होने से तात्पर्य उसकी शारीरिक विकास का ठीक नहीं होना है।कुछ बच्चों में चलने की प्रक्रिया कुछ देर से भी शुरू हो सकती है। इसके लिए बच्चों के पैरों की ताकत सामान्य बच्चों के बराबर होनी चाहिए। यह इस चीज से पता लगेगा कि बच्चे पैरों को अच्छी तरह से आगे पीछे चला सकता है। बच्चा किसी चीज का सहारा लेकर खड़ा हो सकता है। दोनों हाथ पकड़ कर चलने की कोशिश करे तो कोई चिंता की बात नहीं है।

कब्ज की समस्या :-

बच्चों में कब्ज की समस्या केवल दूध पीने से हो सकती है। बच्चे की खुराक में भूत मात्रा में दाल, चावल,खिचड़ी, सूजी, साबूदाना और चावल की खीर मौसमी फल और सब्जियां उपयोग करें।

बच्चा कमजोर हो गई है :-

बच्चे का शारीरिक विकास नहीं हो रहा है। इस तरह के बच्चों में वजन और लंबाई के विस्तार पूर्वक विवरण (जन्म से लेकर अब तक की आयु) की जरूरत है ताकि यह पता चल सके कि बच्चे का विकास की दर कैसी है और उसी के अनुसार आवश्यक जांच पड़ताल करने की जरूरत है

बच्चे की आंख में फर्क है :-

मेरी बच्ची की आंख में फर्क है और डॉक्टर कहते हैं कि ऑपरेशन जल्द से जल्द कराएं या सात आठ साल का होने के पश्चात आराम से ऑपरेशन कराएं। इस तरह की स्थिति में आंखों में फर्क का ऑपरेशन सामान्यतः बच्चे की स्कूल जाने से पूर्व की उम्र 4 से 5 वर्ष में करा लेना चाहिए क्योंकि इस उम्र के बाद बच्ची चीजों को समझने लगता है और अगर कोई उसे उसके लिए टोकेगा तो उसे बुरा लगेगा और उसमें हीन भावना उत्पन्न होगी।

बच्चों का आहार :-

बच्चों को दुधारू पशुओं से प्राप्त आहार जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे पनीर, दही आदि प्रदान करना लाभदायक होता हैं। साथ ही इस आयु-अवधि के दौरान बच्चों को ताजे फल, फलों का रस, दाल, दाल का पानी, हरी पत्तेदार सब्जियां, दलिया आदि देने से उनकी पोषक संबंधी जरूरते पूरी होती हैं।

बीमारी के दौरान बच्चों का आहार :-

स्तनपान करने वाले बच्चे कम बीमार होते हैं और पोषित होते हैं। छः माह से अधिक आयु के शिशुओं के लिए बीमारी के दौरान स्तनपान एवं पूरक पोषण दोनों ही जारी रहने चाहिए। आहार में आने वाली कमी को रोकना चाहिए। बीमार बच्चे द्वारा पर्याप्त भोजन करने में सहायतार्थ समय एवं ध्यान देना चाहिए।

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