टमाटर खाने के फायदे

Tomato a day keeps the doctor away, अर्थात् रोज एक-दो टमाटर खाने से डॉक्टर की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।

पोषक तत्त्वों से भरपूर टमाटर मूलतः तो अमरीका के वतनी हैं।
टमाटर में आहारोपयोगी पोषक तत्त्व काफी मात्रा में होने के कारण ये हरी साग-भाजियों में एवं फल के रूप में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

टमाटर की कई किस्में होती हैं। इनकी आकृति, रंग और स्वाद भिन्न-भिन्न होते हैं। टमाटर जितने बड़े हों उतने ही गुण में उत्तम होते हैं। कच्चे टमाटर हरे रंग के, खट्टे और पचने में हल्के होते हैं, परंतु जब ये पकने लगते हैं तब चमकते-तेजस्वी लाल रंग के होते हैं।

Tomato

आलू या शकरकंद के साग में टमाटर डालकर बनाई हुई मिश्र तरकारी स्वादिष्ट होती है। गुड़ या शक्कर डालकर बनाया हुआ टमाटर का साग खटमीठा, अत्यंत स्वादिष्ट, रुचिकर और पाचक होता है। थोड़ा-सा गुड़ डालकर धनिया-जीरे का बघार देने से भी टमाटर का साग स्वादिष्ट बनता है।

साग के अलावा टमाटर का उपयोग कचूमर, अचार, सूप और साँस बनाने में होता है। टमाटर का उपयोग सॅण्डविच बनाने में भी होता है। पश्चिम के देशों में टमाटर में नीबू, चीनी आदि मसाले डालकर जेली,
जाम, चटनी वगैरह कई वस्तुएँ बनाई जाती हैं।

*पके टमाटर के रस में पुदीना, जीरा और अन्य मसाले डालकर उबालने से अत्यंत स्वादिष्ट चटनी बनती है। पके टमाटर के टुकड़े साग-भाजी एवं दाल में डाले जाते हैं।

पके टमाटर का स्वाद खट-मीठा होता है। उसमें शरीर के लिए मूल्यवान पोषक तत्त्व हैं। इसके सेवन से खून में रक्तकण बढ़ते हैं और शरीर का फीकापन दूर होता है। पके टमाटर भोजन के साथ लेने से रुचि उत्पन्न होती है, जठराग्नि प्रदीप्त होती है, पाचनशक्ति बढ़ती है और रक्त तथा पित्त से संबंधित अनेक प्रकार के रोग दूर होते हैं। इसका रस तन-मन को ताजगी प्रदान करता है।

सगर्भा स्त्रियों के लिए एवं प्रसूति के पश्चात् शारीरिक व मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए टमाटर का रस उत्तम है। स्त्रियों के भिन्न-भिन्न रोगों के लिए भी इसका रस रामबाण है। कम वजनवाले लोग यदि भोजन के साथ प्रतिदिन पके टमाटर खाएँ तो दीर्घकालावधि में उनका वजन बढ़ता है। फीके शरीरवाले लोगों को भी भोजन के साथ टमाटर जरूर खाने चाहिए।

टमाटर का खट्टा रस मनुष्य के जठर के लिए उपयोगी, रुचिकर और पाचक है। टमाटर में नारंगी के बराबर पोषक तत्त्व हैं।

टमाटर रस और विपाक में खट्टे, रुचिकर, अग्निप्रदीपक, पाचक, सारक और रक्तशोधक हैं। अग्निमांद्य, उदरशूल, मेदवृद्धि और रक्तविकार में ये हितावह हैं। ये अर्श, पांडु और जीर्ण ज्वर को दूर करते हैं। सारक होने के कारण ये कब्जियत को मिटाते हैं।

टमाटर उत्तम वायुनाशक हैं। ये रुके-अटके हुए वायु का अनुलोमन करते हैं। ये हृदय को तृप्त करनेवाले, लघु, उष्ण तथा स्निग्ध हैं, रक्त तथा पित्त की वृद्धि करते हैं। वात-कफ प्रकृतिवालों के लिए टमाटर खूब लाभकारी हैं।

पके टमाटर के रस में पुदीना, अदरक, धनिया और सेंधा नमक मिलाकर, उबालकर बनाई हुई चटनी भोजन के साथ खाने से मुँह का जायका अच्छा होता है एवं भोजन में रुचि उत्पन्न होती है। पके टमाटर का रस निकालकर, उसमें अदरक और नीबू का रस मिलाकर पीने से अतीव लाभ होता है।

टमाटर के टुकड़े कर, उन पर सोंठ और सेंधा नमक का चूर्ण छिड़ककर खाने से अग्निमांद्य और अरुचि दूर होती है।

कच्चे टमाटर को साग की तरह काटकर, कलाईवाले बर्तन में कुछ समय तक सेंककर, काली मिर्च तथा सेंधा नमक का चूर्ण मिलाकर अथवा पाँच-छह रत्ती सोडा बाय कार्ब डालकर खाने से अजीर्ण मिटता है।

टमाटर के टुकड़े को कलईवाले बर्तन में थोड़ी देर तक गर्मकर, उस पर गोदंती भस्म छिड़ककर खाने से खाँसी तथा बुखार में लाभ होता है।

टमाटर के रस या सूप में शक्कर मिलाकर पीने से पित्तजन्य विकार मिटते हैं।

टमाटर के रस में शक्कर और लौंग का चूर्ण मिलाकर पीने से तृषारोग दूर होता है।

टमाटर के रस में चौथाई भाग की शक्कर डालकर, एक-दो रत्ती इलायची के दानों का चूर्ण मिलाकर, लौंग और काली मिर्च का थोड़ा-सा चूर्ण डालकर पीने से उल्टी बंद होती है, घबराहट बंद होती है और पेट की गड़बड़ शान्त होती है।

टमाटर के रस में अर्जुनवृक्ष की छाल और शक्कर मिलाकर, अवलेह बनाकर खाने से हृदयशूल तथा हृदय रोग में लाभ होता है।

पके टमाटर का छटांक भर रस दिन में तीन बार पीने से थोड़े ही दिनों में रक्तपित्त और दाँतों के मसूड़ों की शिथिलता के कारण होनेवाला रक्तस्राव दूर होता है।

पके टमाटर के ताजा रस में पानी और थोड़ा-सा शहद मिलाकर पीने से रक्तपित्त तथा रक्तविकार मिटता है।

पके टमाटर का रस सुबह-शाम पीने से और भोजन में नमक का उपयोग कम करने से, चमड़ी पर होनेवाले लाल चकत्ते, चमड़ी की शुष्कता, खाज-खुजली, चमड़ी पर होनेवाली छोटी-छोटी फुन्सियाँ आदि रक्तविकार में लाभ होता है।

ताजे, पके टमाटर पानी से साफकर, भोजन के पूर्व छाल-सहित खाने से और इसी प्रकार रात को सोने के पहले इनका नियमित सेवन करने से कायमी कब्जियत धीरे-धीरे दूर होती है।

एक्के टमाटर का एक प्याला रस या सूप प्रतिदिन पीने से, आँतों में जमा सूखा मल मुक्त होता है और पुरानी कब्ज दूर होती है। टमाटर के रस में हींग का बघारकर पीने से कृमिरोग में लाभ होता

है। प्रातः-सायं टमाटर के रस का सेवन करने से रतौंधापन में लाभ होता है, दृष्टि स्वच्छ होती है और आँखों का तेज बढ़ता है।

पके टमाटर का ताजा रस छोटे बच्चों को दिन में दो-तीन बार पिलाने से बच्चे नीरोगी, बलवान और हृष्टपुष्ट बनते हैं।

टमाटर के रस में कौड़ियों की भस्म मिलाकर देने से बालशोष-बालकों का गलते जाना, सूख जाना, दुर्बल होना आदि रोग मिटते हैं।

टमाटर का एक-दो चम्मच रस, दूध पिलाने से पहले देने से, बच्चों को होनेवाली दूध की उल्टी बंद होती है।

टमाटर के रस से दुगना खोपरे का तेल लेकर, दोनों को एकत्र कर, शरीर पर मालिश करने से और कुछ समय के बाद कुनकुने पानी से स्नान करने से खस-खुजली मिटती है। सिर में होनेवाली रूसी में भी इसके मालिश से लाभ होता है।

टमाटर गुणकारी हैं, तथापि पथरी, सूजन, संधिवात, आमवात और अम्लपित्त के रोगियों के लिए अनुकूल नहीं है। अतः उन्हें टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए। जिन्हें शीतपित्त की शिकायत हो उन्हें भी टमाटर नहीं खाने चाहिए। जिनके शरीर में गर्मी की मात्रा ज्यादा हो; जठर, आँतों या गर्भाशय में उपदंश हो, उनके लिए भी टमाटर का सेवन फायदाकारक नहीं है। जिन्हें दस्त लग गये हों वे भी टमाटर न खाएँ या उसका सूप न पीएँ। जिन लोगों की प्रकृति को खटाई अनुकूल न हो वे भी टमाटर न खाएँ।

वैज्ञानिक मत के अनुसार टमाटर अत्यंत महत्त्वपूर्ण और उपयोगी हैं। शरीर-संवर्धन के लिए उपयोगी मुख्य द्रव्य-लोह तथा अन्य क्षार-टमाटर में प्रचुर मात्रा में विद्यमान हैं। सेव, संतरे, मोसंबी, द्राक्ष आदि फलों की अपेक्षा इनमें रक्त उत्पन्न करने की शक्ति अनेक गुना अधिक है। टमाटर में ऑक्झेलिक एसिड अंशतः और साइट्रिक एसिड काफी मात्रा में है। इनमें लवण, पोटाश, लोह, चूना और मेंग्नीज पर्याप्त मात्रा में है। टमाटर में खनिज क्षार, लोह, फॉस्फेट, मेलिक एसिड (ताजगी देनेवाले और रक्त सुधारनेवाले खट्टे पदार्थ) भी हैं।

टमाटर लीवर, गुदा और अन्य अंगों पर महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं। ये आँतों को व्यवस्थित करते हैं। छः प्रकार के विटामिनों में से पाँच विटामिन टमाटर में है। पके टमाटर में विटामिन ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ काफी मात्रा में हैं।