गर्भाशय कैंसर : कारण व उपचार

गर्भाशय कैंसर : कारण व उपचार

गर्भाशय के कैंसर का उपचार – गर्भाशय को योनि से जोड़ने वाली तंग नली विषाणुओं के कारण संक्रमित होकर कैंसर ग्रस्त हो जाती है। इस रोग में गर्भाशय से अधिक पानी अथवा रक्त मिश्रित बदबूदार द्रव्य निकलने लगता है। मासिक धर्म बन्द हो जाने के बाद रजोनिवृत्ति काल में भी रक्तस्राव होने लगता है।

गर्भाशय के कैंसर का उपचार

  • फूलगोभी, नींबू, गाजर, साबुत दालें, पत्तागोभी आदि सब्जियां तथा फल इस रोग में गुणकारी हैं।
  • रोगी के उपचार के लिए गेहूं के वे पौधे लेने चाहिए, जिसमें बढ़वार के लिए किसी प्रकार की रासायनिक खाद प्रयोग न की गई हो।
  • रोगी को अंगूर खाने के लिए देने चाहिएं। अंगूर के साथ मौसमी टमाटर, काजू, बादाम का प्रयोग भी इस रोग में लाभप्रद है।
  • भोजन में डबलरोटी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। डबलरोटी अन्य खाद्य पदार्थों की अपेक्षा शीघ्र पच जाती है।

गर्भाश्य को योनि के जोड़ने वाली तंग नली विषाणुओं के कारण संक्रमित होकर कैंसर ग्रस्त हो जाती है। वास्तव में इस कैंसर के कारणों का ठीक से पता नहीं लग सकता परन्तु यह यौन सम्बन्धी विकारों का कारण हो सकता है। 35 से 50 साल की स्त्रियों को यह रोग प्रायः अधिक होता है। अविवाहित लड़कियों में इसकी संभावना कम ही रहती है।

चिकित्सक इसके लिए गर्भाशय का परीक्षण करते हैं। प्रारम्भिक स्थिति में कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है। यदि कैंसर बहुत पुराना और अधिक फैल गया हो तो गहन जांच की जा सकती है। जिन महिलओं को गर्भाशय के कैंसर का सन्देह हो, उन्हें कम से कम हर तीसरे महीने अपनी जांच करवानी चाहिए।

इस रोग में गर्भाश्य से अधिक पानी अथवा रक्त मिश्रित बदबूदार द्रव्य निकलने लगता है। मासिक धर्म बन्द हो जाने के बाद राजोनिवृत्ति काल में भी स्राव होने लगता है।

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