श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ या लिकोरिआ (Leukorrhea) में “सफेद पानी आता है. यह स्त्री रोग है जिसमें स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार पानी निकलता है . इसके कारण वे बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है। आइये समझे इस रोग के लक्षण एवं कारण को , साथ में जानेंगे क्या हो सकते हैं इसके उपचार.

श्वेत प्रदर के लक्षण

श्वेतप्रदर का उपचार

आम, जामुन, मालती के फूल, पत्तियां बेल के ताजे कोमल पत्ते, कच्ची हल्दी के बराबर मात्रा मे लेकर इनको पीसकर घी बनाकर योनि में लगाने से श्वेत प्रदर की दुर्गंध नष्ट होती है।

प्रदरान्तक रस 1 से 4 मिग्रा. में मधु के साथ चाटकर ऊपर से अडूसे का रस पीने से पित्तज प्रदर नष्ट होता है।

नाग भस्म 50 मिग्रा. शहद व आंवले के फांट के साथ सेवन करने से प्रदर रोग नष्ट होता है।

रजः प्रवर्त्तनी वटी की एक गोली सुबह एक गोली शाम को काले तिल के क्वाथ के साथ सेवन कराने से ऋतुस्राव की विकृति नष्ट होने से प्रदर में लाभ होता है।

प्रदरान्तक लौह की एक या दो गोली शर्करा, मधु और घी के साथ सेवन करने से प्रदर रोग नष्ट होता है। गोली को पीसकर भी सेवन कर सकते हैं ।

त्रिफला को जल में उबालकर फिर उस जल को वस्त्र द्वारा छानकर योनि प्रक्षालन से जीवाणु नष्ट होते हैं।

नीम के पत्ते उबालकर योनि का प्रक्षालन करने से जीवाणु नष्ट होते हैं। आधुनिक परिवेश में डिटोल या पोटेशियम परमेंगनेट जल में मिलाकर भी योनि को दिन में तीन-चार बार स्वच्छ करने से बहुत लाभ होता है।

मुलहठी, सोंठ, तेल, दही, खांड को समान मात्रा में मिलाकर सेवन करने से वातज प्रदर नष्ट होता है।

प्रदरान्तक लौह की एक गोली कुश की जड़ के क्वाथ के साथ सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग नष्ट होता है।

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चंद्रप्रभावटी की एक गोली सुबह और एक गोली शाम को पीसकर मधु मिलाकर सेवन कराने से प्रदर विकृति नष्ट होती है।

आंवले के चूर्ण को उष्ण जल के साथ सेवन करने से प्रदर नष्ट होता है।

अडूसे के रस में मधु मिलाकर पीने से पित्तज प्रदर नष्ट होता है।

रक्त प्रदर में शिलाजीत वटी की एक गोली सुबह, एक गोली शाम को अनार के रस या दूध के साथ सेवन कराने से लाभ होता है।

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