मतिभ्रम रोग क्यों होता है, इसके बारे में निश्चित मत नहीं है। यह रोग प्रायः 65 से 80 वर्ष या अधिक अथवा कई बार इससे कम आयु वाले व्यक्ति को होता है।

छोटी-छोटी बातों को भूल जाना, इस रोग का प्रारम्भिक लक्षण है। बाद की स्थिति में व्यक्ति की तर्क-शक्ति तथा रूचियों में कमी आ जाती है।

मतिभ्रम

मतिभ्रम रोग का उपचार

एलोपैथी में अभी तक इस रोग का विशेष उपचार नहीं है। इस प्रकार के रोगी की हर समय देखभाल करनी आवश्यक है।

  • पिस्ते का सेवन भी मस्तिष्क की दुर्बलता दूर करने में बहुत सहायक है। पिस्ते में विटामिन ‘ई’ काफी मात्रा में होने के कारण इससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
  • स्मरण शक्ति बढ़ाने अथवा मस्तिष्क स्थिर करने के लिए आंवले का मुरब्बा बहुत ही उपयोगी है।
  • प्रातःकाल चांदी के वर्क के साथ आंवले का मुरब्बा खाने और दूध पीने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
  • लीची के सेवन से भी मस्तिष्क को शक्ति प्राप्त होती है।
  • नारियल का सेवन भी मस्तिष्क के लिए गुणकारी है। तिल का सेवन भी शक्तिवर्धक माना गया है। इससे मस्तिष्क को बल मिलता है।
  • मस्तिष्क की कमजोरी दूर करने के लिए एक कप आम के रस में एक चम्मच अदरक का रस, थोड़ा दूध और स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर पीने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है
  • तरबूज के बीज की गिरी का सेवन भी मस्तिष्क को तरावट देता है।
  • अखरोट मस्तिष्क को शक्ति देने के लिए बहुत गुणकारी माना गया है। अखरोट की गिरी की बनावट बिल्कुल मस्तिष्क जैसी होती है। बूढ़े लोग यदि थोड़ी सी अखरोट की गिरी, एक दो बादाम, दो-चार मुनक्का प्रतिदिन प्रातःकाल दूध के साथ खाएं। तो इससे मस्तिक के साथ-साथ शरीर में भी स्फूर्ति आ जायेगी।
  • मस्तिष्क की कमजोरी दूर करने के लिए एक कप आम के रस में एक चम्मच अदरक का रस, थोड़ा दूध और स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर पीने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *