मूत्राशय जलन : कारण व उपचार

मूत्राशय अर्थात् यूरिनरी ब्लैडर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह गुब्बारे की तरह बढ़ता है और इसी में मूत्र इकट्ठा होता है। यह कोशिकाओं की परत से बनी होती है जो मूत्र को बाहर लीक होने से बचाती है और ब्लैडर में बैक्टीरिया उत्पन्न होने से भी बचाव करती है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि अधिक देर तक पेशाब रूकने से ब्लैडर या मूत्राशय में संक्रमण हो सकता है। क्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में संक्रमण की संभावना अधिक होती है? आइये जानें की मूत्राशय में संक्रमण होने के लक्षण क्या हैं और इससे बचने के उपाय क्या हैं।

मूत्राशय की जलन का उपचार

  • शुष्क धनिया ( दाना) को मोटा-मोटा कूटकर इसका छिलका अलग करें और बीजों के अन्दर की गिरी निकालकर 300 ग्राम धनिया की गिरी तथा बराबर 300 ग्राम मिश्री कूंजा या मिश्री चीनी लें। दोनों को अलग-अलग पीसकर आपस में मिला लें। बस दवा तैयार है।
  • प्रातः सायं छः-छः ग्राम की मात्रा से यह चूर्ण बारी-बारी पानी के सात दिन में दो बार ले। प्रातः बिन खाये-पीये रात के बासी पानी से छः ग्राम फांक लें और तत्पश्चात एक घन्टे तक कुछ भी न खायें। इसी प्रकार पांच ग्राम दवा, शाम 4 बजे लगभग प्रायः के रखे हुए पानी के साथ फांक लें। रात का भोजन इसके दो घन्टे पश्चात करें। यह मूत्राश्य की जलन को दूर करने में अद्वितीय है। आवश्यकतानुसार तीन दिन से इकत्तीस दिन तक लें।

मूत्र साफ करने के लिए उपचार

  • दो छोटी इलायची को पीसकर फांककर दूध पीने से पेशाव खुलकर आता है। मूत्रादाह भी बन्द हो जाता है। भोजन के साथ छाछ में थोड़ा-सा धनिया मिलाकर पीना लाभप्रद है।
  • जौ का पानी, नारियल का पानी, गन्ने का रस और कुटकी का पानी विशेष सहायक है। → रात में तांबे के बर्तन में रखा पानी भी लाभकारी है।
  • मूत्र-भूख ज्यादा आने के लिए मक्की के भुट्टे के रेशम से सुनहरे बाल 25 ग्राम पानी में उबालें। एक तिहाई पानी शेष रहने पर छानकर (बिना कुछ उसमें मिलाए ) वैसे ही पी जाएं। इससे मूत्र साफ और खुलकर आता है और जलन मिटकर एक-एक कर बूंद-बूंद आना बन्द होता है गुर्दे का दर्द होने पर प्रातः एवं सायं लें। दर्द के समय भी इसे प्रत्येक 2-3 घन्टे बाद लिया जा सकता है। कई बार गुर्दे की छोटी पथरी भी इसे दिन में दो-तीन बार लेने से दो-चार दिन में निकल जाती है।

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