मधुमेह इन्सुलिन नामक हार्मोन की कमी से होता है। आनुवांशिकता भी इसका एक प्रमुख लक्षण है। मधुमेह के रोगी को अत्यधिक भूख-प्यास, मूत्र और निर्बलता के लक्षणों से युक्त पाया जाता है। उसके पैरों के तलवों में जलन की शिकायत रहती है।
मधुमेह के उपचार

- आम की गुठली का चूर्ण बनाकर तीन ग्राम की मात्रा में दिन में तीन अथवा चार बार पानी के साथ सेवन करने से रोगी को लाभ होता है। मूत्र में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। रोगी की शान्त न होने वाली प्यास बुझ जाती है।
- अधिक दिमागी काम और बदहजमी से बचें। दिन में सोना उचित नहीं है। पानी एक सांस में न पीकर घूंट-घूंट में पीना चाहिए।
- मेथीदाना इस रोग में बहुत उपयोगी माना गया है। पांच-छः ग्राम मेथीदाना कूटकर शाम के समय दो ढाई सौ ग्राम पानी में भिगो दें। प्रातः काल उठकर इसे खूब अच्छी तरह रगड़कर पतली छन्नी से छानकर पी लें। डेढ़ दो माह सेवन करने से मधुमेह से छुटकारा मिल जाता है। करेले के बीजों का सेवन या चूर्ण मधुमेह के रोगी के लिए उत्तम हैं।
- मधुमेह के रोगी को दही, फल, हरी साग-सब्जीयों, जैसे-चौलाई, बथुआ, धनिया, पोदीना बन्दगोभी, जीरा, ककड़ी, लौकी, करेला, मूली, गाजर, टमाटर, नींबू, प्याज, अदरक और छाछ का प्रयोग करते रहना चाहिए। बादाम भी भिगोकर खाया जा सकता।
- मधुमेह के रोगी को चीनी अथवा मिठाई आदि खाना बन्द कर देना चाहिए।
- चने का पानी पीते रहने से भी मधुमेह का उपचार होता है। सलाद की पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट्स कम होते हैं। इसलिए मधुमेह के रोगियों को अपने आहार में इनका प्रयोग करना चाहिए।
- प्रातःकाल अंकुरित चनों के साथ करेले का सेवन करना चाहिए। टमाटर में काबोहाइड्रेट्स की मात्रा कम होती है। इसलिए मधुमेह के रोगी जो अपना वजन कम करना चाहते हैं, उन्हें टमाटर के रस का प्रयोग करना चाहिए।मधुमेह काफी भंयकर और सरलता से न ठीक होने वाला रोग है। परन्तु रोगियों को निराशा नहीं होनी चाहिए। यदि ऊपर बताये गये उपचारों के साथ योगासन करते रहेंगे तो उन्हें अवश्य लाभ होगा और रोग नियन्त्रण में रहेगा।
- मधुमेह के रोगी यदि अपने भोजन में सोयाबीन का प्रयोग करते हैं तो उन्हें लाभ होगा।
- आम की पत्तियां छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। प्रातः व सायं एक चम्मच चूर्ण जल के साथ सेवन करने से लाभ होता है। मधुमेह के रोगी को चने और जौ के आटे की रोटी काफी मात्रा में हरी सब्जियों के साथ खानी चाहिए। यदि कुछ दिनों तक केवल चने की रोटी खाते रहें तो आठ दस दिन में मूख में शर्करा आनी बन्द हो जाती है। जौ को भूनें और आटे की तरह पीसकर रोटी बना लें। इसका सेवन अधिक लाभदायक होता है। मधुमेह के रोगी को प्रातः एवं सायं तेज चाल के साथ भ्रमण करना चाहिए।
- दही और साग-सब्जियों को दो-तीन सप्ताह तक लगातार अधिक मात्रा में खाने से मूत्र शर्करा समाप्त हो जाती है। आम के पेड़ की नरम और हरी कोपले भी मधुमेह के रोगी के लिए उपयोगी सिद्ध होती हैं। कोपलों का काढ़ा बनाकर भी प्रयोग में लाया जा सकता है। रात्रि में उन्हें पानी में भिगोकर रखें। प्रातः खूब अच्छी तरह मसलकर इसका पानी पी लें। मधुमेह के प्रारम्भिक दिनों में इसके उपयोग से मधुमेह रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
- मधुमेह के रोगियों को आवश्यक तत्व नहीं मिल पाते। करेले में आवश्यक विटामिन, खनिज और विशेष रूप से विटामिन ए, बी, सी, और लौह तत्व काफी मात्रा में होते हैं। इसके निरंतर उपयोग से मधुमेह के रोगी तनाव से बचे रहते हैं। आंख की तकलीफ नहीं होती। कार्बोहाइड्रेट्स के पाचन में आसानी रहती है। रोगी का शरीर संक्रमण से बचा रहता है।
- जामुन की गुठली का चूर्ण बनाकर तीन ग्राम की मात्रा में दिनमें तीन अथवा चार बार पानी के साथ सेवन करने से रोगी को लाभ होता है। मूत्र में शर्करा की मात्रा कम होती है।
- मधुमेह के रोगियों के लिए करेला विशेष रूप से प्रभावी दवा मानी गयी हैं । आधुनिक चिकित्सकों ने भी परीक्षणों के दौरान विटामिन और इन्सुलिन के गुण वाले पदार्थों की संभावना का पता लगाया है। इसके उपयोग से रक्त और मूत्र में शंकरा की मात्रा कम होती है। इसलिए मधुमेह के रोगियों को अपने भोजन में करेले का उपयोग अधिक करना चाहिए। आयुर्वेद में जामुन के वृक्षों की छाल का भीतरी भाग मधुमेह के उपचार के लिए प्रयोग में आते हैं। छाल को सुखाकर उसकी भस्म बना ली जाती है। भस्म की लगभग 65 मिलीग्राम मात्रा खाने के एक घंटे बाद पानी के साथ लेनी चाहिए।
- मधुमेह के रोगियों को अपने मूत्र एवं रक्त में शकरा की मात्रा की जांच के लिए परीक्षण उपकरण अपने पास रखना चाहिए । इससे ये अपने उपचार में और अधिक सतर्क रह सकेंगे।
- मधुमेह की शिकायत होने पर आम और जामुन का रस बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में तीन बार लगातार एक महीने तक सेवन करें ।
- रात को काली किशमिश भिगोकर रखिए, सुबह उठने के साथ उसका जल छानकर पी लीजिए। मधुमेह के इलाज के लिए बेलपत्र बड़े उपयोगी हैं, यह सिद्ध प्रयोग है। बेलपत्र और नीम के पत्ते 11-12 नग लेकर उन्हें तुलसी के करीब 5-6 पत्तों, 5 नग मुनक्का और 5 नग काली मिर्च के साथ पीसकर गोलियां बना लें, एक-एक गोली प्रतिदिन प्रातः जल के साथ लेने से भयंकर से भयंकर मधुमेह रोग का केवल तीन-चार महीनों में निवारण हो जाता है। लेकिन साथ में खान-पान का विशेष तौर परर घ्यान रखें।
- सुबह टमाटर, संतरा और जामुन का नाश्ता करें, इनकी 300 ग्राम मात्रा पर्याप्त है। जामुन के कोमल हरे पते पीसकर नियमित 25 दिन तक प्रातःपानी के साथ पीने से पेशाब में शक्कर जाना रूक जाता हैं
- आंवला, हल्दी और मेथी तीनों को समभाग मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को यदि मधुमेह का रोगी सुबह, दोपहर और शाम को पानी के साथ एक चम्मच भर सेवन करे तो वह दो महीने के भीतर-भीतर मधुमेह के रोग से मुक्त हो सकता है।
- जामुन की गुठली और हरिद्रा की बराबर मात्रा लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर शहद के साथ चाटें अथवा चम्मच छाछ के साथ, पिएं, मधुमेह कितना ही भंयकर क्यों न हो, ठीक हो जाएगा।
- नियमित तीन महीने तक करेले की सब्जी घी में बनाकर खाने से मधुमेह में निश्चित रूप से लाभ होगा। आंवले के चूर्ण को भिगोकर उसे कुछ देर रहने दीजिए, फिर उसे छानकर उसमें नींबू का रस निचोड़कर सुबह उठते ही पी लें।