चुकंदर के फायदे
चुकंदर एक कंदमूल है। उसका रंग सफेद या लाल होता है। चुकंदर युरोप और अमेरिका में बहुत होता है। अब भारत के लोग भी चुकंदर को पहचानने लगे हैं। कुछ समय से भारत में भी इसका उत्पादन होने लगा है।
चुकंदर दो प्रकार का होता है-सफेद और लाल। इसको उबालकर अथवा बिना उबाले दोनों प्रकार से खाते हैं। इसके गोल-गोल टुकड़े कर, नमक, काली मिर्च और धनिया जीरा डालकर एवं नीबू का रस निचोड़कर खाया जाता है। इस प्रकार खाने से यह स्वादिष्ट और रुचिकर लगता है। चुकंदर का साग और इसके पत्तों की भाजी बनाई जाती है। चुकंदर के पत्तों की भाजी रेचक, मूत्रल और सूजन को मिटानेवाली है। इसके पत्ते कोमल और ताजा हों तो इसकी भाजी ज्यादा रुचिकर बनती है।

गाजर, लौकी और चीकू की तरह चुकंदर का हलुआ भी बनाया जाता है। वह बहुत ही रुचिकर बनता है। चुकंदर रक्तवर्धक, शक्ति उत्पन्न करनेवाला और पौष्टिक है। आहार के रूप में इसका उपयोग किया जाए तो छोटी-बड़ी अनेक बीमारियों को रोका जा सकता है। युरोप और अमेरिका में चुकंदर के महत्त्व को स्वीकार किया गया और आहार में इसे अग्रिम स्थान दिया गया है। चुकंदर में शर्करा की मात्रा दस प्रतिशत के करीब होती है। अतः इसमें से शक्कर और ग्लुकोज बनाया जाता है। इसका ग्लुकोज स्वाद में मधुर लगता है। चुकंदर में ‘बेटीन’ नामक एक सत्त्व का भी आविष्कार हुआ है। यह जठर और आँतों को साफ रखने में उपयोगी कार्य करता है।
चुकंदर अतिशय गुणकारी और निर्दोष है। यह रक्तवर्धक, शक्तिदायक, शरीर को लाल बनानेवाला और दुर्बलता को दूर करनेवाला है।
चुकंदर का सेवन करने से शरीर का फीकापन दूर होता है, शरीर लाल बनता है एवं शरीर में एक विशेष प्रकार की शक्ति और चेतना उत्पन्न होती है।
चुकंदर गुणकारी होने पर भी कंदमूल होने से पचने में कुछ भारी पड़ता है। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से कभी-कभी यह गैस-वायु करता है, अतः दुर्बल पाचनशक्तिवालों को इसका सेवन सोच-विचारकर करना चाहिए।
वैज्ञानिक मतानुसार चुकंदर में साढ़े दस प्रतिशत प्रोटीन, दस प्रतिशत शर्करा, नौ प्रतिशत स्टार्च एवं विटामिन ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ तथा चूना, लोह और फॉस्फरस होता है। इसके पत्तों में भी विटामिन और क्षार काफी मात्रा में होते हैं।