अरबी के फायदे [ Benefits of Arabic Tuber]

अरवी अत्यंत प्रसिद्ध और सबकी परिचित वनस्पति है। इसके पत्तों से ‘पत्तरवेलिया’ नामक बानगी बनती है। इसके कंद, कोमल पत्तों और पर्णवृन्तों की तरकारी बनती है। इसके अंकुरित कंदों को तीस सेंटीमीटर के अंतर पर कतारबद्ध बोया जाता है। बोआई के समय जमीन में पर्याप्त नमी का होना जरूरी है।

अरवी गर्मी के मौसम की फसल है। यह ग्रीष्म एवं वर्षा, ऋतुओं में होती है। गर्मियों की फसल के लिए फरवरी-मार्च में और वर्षाकालीन फसल के लिए जून-जुलाई में इसकी बोआई की जाती है। बोआई के तीन महीने के पश्चात् इसकी फसल तैयार हो जाती है। यद्यपि फसल को पुख्ता होने में चार-साढ़े चार महीने लग जाते हैं।

Benefits of Arabic Tuber


अरवी की अनेक किस्में होती हैं-राजालु, धावालु, काली-अलु, मुंडले-अलु, गिमालु और रामालु। इन सबमें काली अरवी उत्तम है। कुछ अरवी को बड़े और कुछ को छोटे कंद लगते हैं। इनसे भाँति-भाँति की बानगियाँ बनाई जाती हैं। इसके पत्तरबेलिए अत्यंत स्वादिष्ट व रुचिकर बनते हैं, परंतु इसमें यथेष्ट मात्रा में तेल तथा गर्म मसाला डालना आवश्यक है, ताकि वह वायु न करे और शीघ्र पच जाए।

अरवी की कुछ किस्में खुजली करनेवाली होती हैं। बोआई के लिए उपयुक्त अधिकांश किस्में खुजली नहीं करतीं। पकाने से यह दोष दूर होता है। (यह खुजली सूई के आकारवाले कॅल्शियम ऑक्साइड के स्फटिकों के कारण से होती है।) अरवी रक्तपित्त को मिटानेवाली, दस्त को रोकनेवाली और वायु का प्रकोप करनेवाली है।

अरवी शीतल, अग्निदीपक, मलावष्टंभक, बल की वृद्धि करनेवाली तथा स्त्रियों के स्तनों में दूध बढ़ानेवाली है। इसके सेवन से पेशाब अधिक मात्रा में होता है एवं कफ और वायु की वृद्धि होती है। इसके कंद में धातुवृद्धि की भी शक्ति है।

अरवी के कोमल पत्तों का रस जीरे की बुकनी मिलाकर देने से पित्तप्रकोप मिटता है।

अरवी का साग खाने से स्त्रियों का स्तन्य (दूध) बढ़ता है। अरवी
के पत्तों का साग रक्तपित्त के रोगी के लिए अच्छा माना जाता है। अरवी के पत्ते डंठल के साथ उबालकर, उसका पानी निकालकर, उसमें घी मिलाकर, तीन दिन तक देने से वायुगुल्म दूर होता है।

अरवी के पत्तों का रस तीन दिन तक पीने से पेशाब की जलन मिटती है।

अरवी के पान के डंठल जलाकर उनकी राख तेल में मिलाकर लगाने से फोड़े मिटते हैं।

अरवी के पत्तों का साग वायु तथा कफ बढ़ाता है। पत्तरबेलिए बेसन के कारण स्वादिष्ट और रुचिकर लगते हैं, फिर भी उसका अधिक मात्रा में सेवन उचित नहीं है। अरवी की किसी भी किस्म को कच्ची न रखें।

वैज्ञानिक मतानुसार अरवी में प्रोटीन, पोटेशियम, फॉस्फरस, कॅल्शियम, सोडियम और कुछ मात्रा में विटामिन ‘ए’ भी होता है।