चेचक या खसरा का उपचार चेचक matarani (शीतला, बड़ी माता, स्मालपोक्स) एक विषाणु जनित रोग है। श्वासशोथ एक संक्रामक बीमारी थी, जो दो वायरस प्रकारों, व्हेरोला प्रमुख और व्हेरोला नाबालिग के कारण होती है। इस रोग को लैटिन नाम व्हेरोला या व्हेरोला वेरा द्वारा भी जाना जाता है, जो व्युत्पन्न (“स्पॉटेड”) या वार्स (“पिंपल”) से प्राप्त होता है। मूल रूप से अंग्रेजी में “पॉक्स” या “लाल प्लेग” के रूप में जाना जाता है; 15 वीं शताब्दी में “श्वेतपोक्स” शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले “महान पॉक्स” (सीफीलिस)।

चेचक या खसरा का कारण

यह एक बहुत तीव्र संक्रमक ज्वर है। यह रोग ऋतु परिवर्तन के समय खासकर बसन्त और शरद ऋतुओं में फैलता है। आयुर्वेद में इस रोग को शामांतिका कहा जाता है।

चेचक या खसरा का लक्षण

आरम्भ में रोगी को खांसी जुकाम या तीव्र ज्वर होता है। नेत्र लाल हो जाते हैं। | बहुत अधिक तंद्रा, अरूचि तथा अतिसार (दस्त) जैसे उपद्रव दिखायी देते हैं।

चेचक या खसरे का उपचार

तीन तुलसी की पत्तियों और तीन काली मिर्चों को तीन बताशे या दस ग्राम मिश्री दो कप पानी में डालकर उबालें। आधा कप रह जाने पर गरम-गरम पीकर बदन ढककर दस मिनट बच्चे को लिटायें । किसी भी प्रकार के ज्वर में रामबाण है।
इस रोग का असर अधिकतर बच्चों पर ही होता है। इससे बचाव उपचार देने के लिए प्रबाल पिष्टी नामक औषधि बहुत उपयोगी है।
प्यास अत्यधिक सता रही हो तो तीन-चार चम्मच सौंफ को एक गिलास पानी में एक घंटा भिगोकर वह पानी घूंट-घूंट पीने को दें। इस रोग में रोगी को बहुत हल्का भोजन ही खाने को देना चाहिए। जैसे-जौ का दलिया, फलों का रस आदि ।

तीन तुलसी की पत्तियां, दो काली मिर्च, दस ग्राम पानी में पीसकर आयु को ध्यान में रखते हुए दें। मिठास के बिना काम न चले तो दस ग्राम मिश्री का चूर्ण डाल सकते हैं। आवश्यकतानुसार दो दिन से सात दिन तक पिलाएं। रोगी को ठंडी हवा और बारिश से बचाकर रखना चाहिए। इस रोग के दौरान स्नानकरना तो एकदम मना है।

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