शीघ्रपतन को शीघ्रपतन कहते हैं। सेक्स के मामले में इस शब्द का प्रयोग वीर्य के स्खलन के लिए किया जाता है। पुरुष का वीर्य उसकी इच्छा के विरुद्ध अचानक स्खलित हो जाता है, स्त्री संभोग करते समय संभोग शुरू करते ही स्खलित हो जाती है और पुरुष स्खलन को रोकने की कोशिश करने पर भी उसे रोक नहीं पाता, स्त्री को तृप्ति और संतुष्टि मिलने से पहले ही पुरुष का बीच में अचानक स्खलित हो जाना, वीर्य का रिसाव या रिसाव को शीघ्रपतन कहते हैं। यह रोग महिलाओं से संबंधित नहीं है, यह केवल पुरुषों से संबंधित है और यह रोग केवल पुरुषों को ही प्रभावित करता है।

गुप्त रोग

शीघ्रपतन की सबसे खराब स्थिति यह है कि संभोग शुरू होते ही या होने से पहले ही स्खलन हो जाता है। संभोग की अवधि कितनी होनी चाहिए यानी कितने समय तक स्खलन नहीं होना चाहिए, इसका कोई निश्चित मानक नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है।

शीघ्रपतन, शीघ्रपतन है। यह “समय” कोई निश्चित समय नहीं है, बल्कि जब “प्रवेश” के साथ-साथ “निकास” भी होने लगे या पुरुष और महिला अभी चरम पर न हों और स्खलन हो जाए, तो इसे शीघ्रपतन कहते हैं। ऐसी स्थिति में अपने साथी के साथ संबंधों में असंतोष, अपराधबोध, हीन भावना, नकारात्मक विचार और तनाव होना संभव है।

यहां यह समझना जरूरी है कि हर वह व्यक्ति जो शीघ्र स्खलित हो जाता है, जरूरी नहीं कि वह शीघ्रपतन का शिकार हो। संभव है कि व्यक्ति किसी शारीरिक असामान्यता का शिकार हो और यह समस्या स्थायी हो, लेकिन इसके लिए किसी अच्छे विशेषज्ञ से परामर्श जरूरी है। अगर कोई पुरुष संभोग शुरू होने के 60 सेकंड के अंदर ही स्खलित हो जाता है तो उसे शीघ्रपतन कहते हैं। इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन के विशेषज्ञों ने पहली बार इस शीघ्रपतन को परिभाषित किया है… रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनियाभर में 30 फीसदी पुरुष इस यौन विकार से परेशान हैं।

शीघ्रपतन का सबसे बुरा मामला यह है कि संभोग शुरू होते ही या होने से पहले ही स्खलन हो जाता है। संभोग की अवधि कितनी होनी चाहिए यानी कितने समय तक स्खलन नहीं होना चाहिए, इसका कोई तय मानक नहीं है। यह हर व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है। सेक्स के दौरान कुछ देर तक गहरी सांस लें। इस प्रक्रिया से शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है। आपको पता होना चाहिए कि एक बार के सेक्स में करीब 400 से 500 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। इसलिए हो सके तो बीच-बीच में ग्लूकोज, जूस, दूध आदि जैसे त्वरित ऊर्जा देने वाले तरल पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आपसी बातचीत भी आपको स्थिरता दे सकती है। ध्यान रखें, संभोग के दौरान इशारों में बात न करें, स्वाभाविक तरीके से बात करें। डर, असुरक्षा, गुप्त सेक्स और शारीरिक व मानसिक परेशानियाँ भी इस समस्या का कारण हो सकती हैं। इसलिए इससे बचने की कोशिश करें। इसके अलावा कंडोम का इस्तेमाल भी इस समस्या से निजात पाने में मददगार हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *