कण्ठमाला का उपचार जानने से पहले जान लें कि कण्ठमाला लसीका ग्रंथियों की एक पुरानी बीमारी है। इसमें गले में ग्रंथियाँ बड़ी होकर माला जैसी हो जाती हैं, इसलिए इसे गला घोंटना कहते हैं। आयुर्वेद में इसका वर्णन दो नामों ‘गंडमाला’ और ‘अपाची’ में मिलता है, जिन्हें गण्डमाला के दो प्रकार या दो अवस्थाएँ भी कहा जा सकता है। कण्ठमाला के उपचार का मुख्य उद्देश्य गले के रोगों और समस्याओं को ठीक करना है।

कण्ठमाला से जुड़ी कुछ आम समस्याओं के लिए उपचार विधियाँ इस प्रकार हैं:

गर्म पानी का प्रयोग:

गर्म पानी से गरारे करना और गर्म पानी पीना कण्ठमाला के लिए फायदेमंद हो सकता है। गर्म पानी पीने से ठंडे पानी की तुलना में गले की खराश और सूजन कम होती है।

ठंडे प्रयोग:

ठंडे प्रयोग कण्ठमाला के रोगों में भी फायदेमंद होते हैं। ठंडा पानी, कोल्ड पैक, कोल्ड प्रेस आदि का सेवन कण्ठमाला से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।

वायु प्राणायाम:

वायु प्राणायाम, जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और उज्जयी प्राणायाम गले के रोगों को कम करने में मदद कर सकते हैं। ये प्राणायाम गले की मांसपेशियों को ढीला करके सुखद आसन बनाते हैं और गले की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।

गर्म चिकित्सा:

गर्म चिकित्सा, जैसे हीट थेरेपी या गर्म प्रेस, कण्ठमाला को ठीक करने में मदद कर सकती है। गर्म प्रेस गले की सूजन को कम करने और सूजन को दूर करने में मदद कर सकती है।

दवाएँ:

अगर कण्ठमाला की समस्या गंभीर है तो डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएँ लें। कुछ मामलों में, डॉक्टर एंटीबायोटिक्स या एंटीहिस्टामाइन लिख सकते हैं। दवाइयाँ निर्धारित की जा सकती हैं। इन उपायों का उपयोग करके आप कण्ठमाला से संबंधित समस्याओं को नियंत्रित कर सकते हैं और अधिक राहत पा सकते हैं। लेकिन अगर समस्या गंभीर है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो चिकित्सक से परामर्श करने का सुझाव दिया जाता है।

Treatment of mumps, know the causes of the disease
Treatment of mumps, know the causes of the disease

पीपल से उपचार

पीपल कण्ठमाला के लिए बहुत लाभकारी और अक्सर औषधि है। पीपल सामान्य रूप से उगने वाला पीपल नहीं है बल्कि वह पीपल है जो किसी ठोस दीवार में उग आया हो और जिसकी जड़ें जमीन तक न पहुंची हों। इस प्रकार के उगे हुए पीपल के पेड़ की जड़ों को पानी के साथ पत्थर पर घिसें और प्रतिदिन ग्रंथियों पर लगाएं। आप खुद पाएंगे कि कुछ ही दिनों में इस उपचार को करने से आपको आराम मिल जाएगा।

पुनर्नवा से उपचार

शुक्ल पक्ष के प्रथम सप्ताह में रविवार की सुबह स्नान आदि से शुद्ध होकर पुनर्नवा को किसी पवित्र स्थान से उखाड़कर लाना चाहिए। विशेष बात जो ध्यान देने योग्य है वह यह है कि इस पौधे को उखाड़ते समय ध्यान रखें कि आपके शरीर की छाया इस पर न पड़े। इस तरह से लाई गई जड़ी-बूटियों को छाया में ही सुखाएं। सूखने के बाद इसे बारीक पीसकर बोतल में सुरक्षित रख लें। ऐसा करने से कण्ठमाला की सबसे अच्छी औषधि आपके पास तैयार है।

इस औषधि को कण्ठमाला रोग से पीड़ित रोगी को 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ दें। कुछ ही दिनों में रोग नष्ट हो जाएगा। यदि ग्रंथियां सूज गई हों। तो ग्रंथियों में सूजन होने पर भी इस जड़ी बूटी के चूर्ण को पानी के साथ पीसकर उस स्थान पर लगाना चाहिए।

ऐसा करने मात्र से ग्रंथियां भीतर से समाप्त हो जाएंगी। यदि ग्रंथियों के बीच से मवाद या पानी आदि बहने लगा हो तो इस जड़ी बूटी के चूर्ण को पानी में पीसकर लगाएं। इस प्रकार यह करिश्माई और अनोखी जड़ी बूटी रोग को ठीक कर देगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *