नेत्र रोग कारण एवं उपचार
आँखों से पानी आने का उपचार
गर्म पानी में चुटकी भर नमक डालकर रात को पिएँ।
दो छोटी इलायची पीसकर एक गिलास रात को पीने से लाभ होता है।
रात को दूध उबालकर त्रिफला भिगोकर सुबह उस पानी को छानकर आँखों पर छिड़कने से आँखों से पानी बहना बंद हो जाता है और आँखों की रोशनी बढ़ती है। 25-30 किशमिश रात को पानी में भिगो दें। सुबह उसे खाकर ऊपर से वही पानी पी लें।
60 मिली. लहसुन की गांठ को सरसों के तेल में पकाकर छाती, गले और कानों के आस-पास मालिश करने से तीन दिन में आँखों से पानी आना बंद हो जाता है।
सरसों के दानों को शहद में मिलाकर सूंघने से आँखों से लगातार पानी बहना बंद हो जाता है।
धनिया-पुदीने की चाय में चुटकी भर नमक डालकर पिएँ।
अमरूद को आग में भूनकर खाने से आँखों से पानी आना बंद हो जाता है।
रात को 5 काली मिर्च चबाकर एक गिलास दूध में उबालकर पीने से लाभ होता है।
आंखों की सूजन का उपचार
थोड़ा धनिया लेकर उसका चूर्ण बना लें और उसे उबलते पानी में डाल दें। फिर उसे एक घंटे तक ढककर रखें, फिर साफ कपड़े से छानकर बोतल में भर लें। इसकी दो-दो बूंद सुबह-शाम आंखों में डालने से आंखें ठीक हो जाती हैं।
आंखों में आई सूजन होने पर रात को गुड़ को पानी में भिगोकर पीने से और सुबह कपड़े से छह बार छानने से आंखें ठीक हो जाती हैं। गुड़ को जितनी बार छानेंगे, उतना ही ठंडा होगा और आंखें ठीक होंगी और उनकी लाली दूर होगी।
हरा धनिया पीसकर उसका रस निकाल लें। उसे साफ कपड़े से छान लें। इस रस की दो-दो बूंद आंखों में डालने से दुखती आंखें ठीक हो जाती हैं। आंखों के रोगों में अक्सर दवा होती है।
गाय के दूध में रूई भिगोकर उस पर फिटकरी का चूर्ण छिड़ककर आंखों पर बांधने से आंखें ठीक होती हैं और उनकी लाली दूर होती है।
आँखों की लालिमा का उपचार
इमली के पत्तों का रस और दूध कांसे की थाली में मिलाकर कांसे या तांबे की कटोरी से रगड़कर पलकों और उसके आस-पास लगाने से आँखों की लालिमा, जलन और आँसू दूर होते हैं।
आँखों पर दूध में भिगोई हुई साफ रूई रखें। ऐसा दिन में 4-5 बार करने से आँखों को ठंडक मिलती है, आँखों की लालिमा, सूजन और दर्द तुरंत दूर हो जाता है।
हल्दी, फिटकरी और इमली के पत्तों को तीनों को एक साथ लेकर पीस लें। फिर इसकी पुल्टिस बनाकर इसे गर्म करके आँखों पर हल्का-हल्का लगाने से आँखों की लालिमा और जलन दूर होती है।
नींबू के टुकड़ों पर अफीम और फिटकरी छिड़ककर पुल्टिस बनाकर आँखों पर रखने से आँखों की लालिमा दूर होती है और आँखों का दर्द ठीक होता है।
आँखों की सूजन का उपचार
हल्दी और रस मिले दूध में नमक मिलाकर आँखों पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
नैत्रशनि रस एक रत्ती से दो रत्ती की मात्रा में गर्म पानी के साथ प्रातः और सायं रोगानुसार सेवन करने से वातज, पित्तज और कफज आदि नेत्र रोग ठीक हो जाते हैं।
अभ्रक भस्म 200 मि.ग्रा. शहद और घी को बराबर मात्रा में मिलाकर प्रातः और सायं सेवन करने से त्रिदोष जनित सूजन कम होती है। सहिजन के पत्तों का रस 4 ग्राम, सेंधानमक 2 मि.ग्रा. एक ग्राम शहद में मिलाकर एक स्थान पर लगाने से सूजन कम होती है।
अरण्ड के पत्ते, जड़ और छाल, कनकारी की जड़ को सेंककर तथा बकरी को गुनगुने दूध से सींचने से सूजन नष्ट होती है।
प्रवाल भस्म 200 मि.ग्रा. शहद और घी मिलाकर चाटने और दूध पीने से पित्ताशय की सूजन कम होती है।
मधुयष्ठी अजदुग्धा लेप का प्रयोग दिन में दो बार करने से वातजन्य कफ नष्ट होता है। पथ्यादि अंजन को जल में घिसकर नेत्रों में लगाने से रक्ताभिष्यंद नष्ट होता है।
सप्तामृत 2 मिलीग्राम घी व शहद के साथ सेवन करने से आंसू, जलन, शूल, कंडू, रक्तान तथा अभिष्यंद में लाभ होता है।
1 भाग मुलहठी, त्रिफला, 4 भाग लौह भस्म व खरल को मिलाकर शहद व घी के साथ सेवन करने से नेत्र रोग नष्ट होते हैं। मात्रा – एक से दो मिलीग्राम।
त्रिफला, मुलहठी, शर्करा, नागरमोथा व लोध्र को ठंडे जल में पीसकर रक्ताभिषेक के बाद जल से सेक करने से बहुत लाभ होता है।
आंख में दो बूंद नेत्ररोग औषधि दिन में तीन-चार बार डालने से सभी प्रकार की बरकतें नष्ट हो जाती हैं। आंखों को जल से साफ करके औषधि लगाएं।
महात्रिफलादि घी व मिश्री को 15-15 ग्राम सुबह-शाम लें। इसे आंखों के अभिष्यंद के साथ सेवन करने से बहुत लाभ होता है। इसे गुलाब जल में घिसकर लगाने से अभिष्यंद नष्ट हो जाता है। इसे दिन में तीन बार प्रयोग करें।