यह रोग शारीरिक शक्ति से अधिक काम करने, रूखा-सूखा भोजन करने तथा कुछ हानिकारक औषधियों का सेवन करने से आक्रमण करता है।
यदि कोई मांसपेशी या मांसपेशी समूह अनायास सिकुड़ जाए और उसमें दर्द होने लगे तो इस स्थिति को ऐंठन कहते हैं।
शरीर में ऐंठन का इलाज
ऐंठन के रोगी को वायु बढ़ाने वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दृष्टि से दालों का सेवन रोगी के लिए हानिकारक होता है। ठंडे, रूखे, खुरदरे, कड़वे तथा कसैले स्वाद वाले पदार्थ ऐसे रोगी को हानि पहुंचाते हैं। रोगी व्यक्ति खट्टे-मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन पर्याप्त मात्रा में कर सकता है।
इस रोग में ‘सिंघनाद गुग्गुल’ नामक औषधि बहुत लाभकारी है। क्योंकि ऐसे मरीज अधिकतर कब्ज से पीड़ित रहते हैं।
यदि इस औषधि से भी कब्ज दूर न हो तो रोगी को उसकी प्रकृति के अनुसार उचित मात्रा में अरंडी का तेल देना चाहिए।
जिन रोगियों को ऐंठन के दौरे बार-बार आते हों उन्हें प्रतिदिन नहाने से पहले साधारण तिल के तेल से मालिश करनी चाहिए।
व्यान वायु के विकार को दूर करने के लिए मालिश सर्वोत्तम चिकित्सा है। पूरे शरीर पर औषधीय तेल मलकर मालिश की जाती है। इस रोग में ‘महानारायण तेल’ की मालिश बहुत उपयोगी होती है। सर्दी के मौसम में इस तेल को गर्म करके शरीर पर मलना चाहिए।