गण्डमाला रोग खान-पान तथा आयोडीन की कमी के कारण प्रकट होता है। इस रोग की उत्पत्ति का विशेष कारण कफ की अधिकता तथा पित्त का क्षय होना है। इस रोग में अण्डे के समान सूजन आ जाती है। इस सूजन के कारण ग्रीवा ग्रंथि लटक जाती है।
गण्डमाला का उपचार
इस रोग के उपचार के लिए सरसों तथा जलकुंभी की राख दोनों को एक बर्तन में पीसकर लेप करना चाहिए। अमलतास की जड़ को चावल के पानी में पीसकर लेप करने से पेंगहा रोग में बहुत लाभ होता है। पुराना चावल, घी, मूंग की दाल, परवल, सहिजन की फलियाँ, खीरा, गन्ने का रस, दूध तथा दूध से बने खाद्य पदार्थ इस रोग में लाभदायक होते हैं। खट्टे तथा भारी खाद्य पदार्थ हानिकारक होते हैं।
मूली का घिसा, शंख का चूर्ण-दोनों को पानी में पीसकर लेप करने से गण्डमाला रोग में लाभ होता है। वरुण की जड़ के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से भी गण्डमाला ठीक हो जाती है। लाल अरण्ड की जड़ और छिलके वाली जड़ दोनों को चावल में पीसकर लेप करने से पित्त की पथरी में लाभ होता है। संभू की जड़ को पानी में पीसकर प्रभावित भाग पर लगाने से भी गण्डमाला ठीक हो जाती है।