भगन्दर रोग का उपचार

त्रिफला का क्वाथ बनाकर प्रतिदिन पीने से भंगदर रोग का शमन होता है।

भंगदर के फोड़े पर बरगद के पत्ते, ईंट का चूर्ण, सोंठ, गिलोय तथा पुनर्नवा को पीसकर लेप करें। इस लेप से वह बैठ जाता है तथा पकता नहीं है।

भंगदर ठीक हो जाने पर भी एक साल तक व्यायाम, मैथुन, कुश्ती, घोड़े आदि की सवारी तथा गरिष्ठ पदाथों का परित्याग कर देना चाहिए। सुपाच्य और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए।

तिल, नीम के पत्ते तथा मुलहठी को दूध में पीसकर इसका शीतल लेप करने से लाभ होता है। निसीत, तिल, मंजीठा तथा सेंधा नमक को घी व मधु में फेंटकर भंगदर पर लेप करने से लाभ होता है।

चमेली के पत्ते, बट के पत्ते, गिलोय, सोंठ तथा सेंधा नमक को मट्ठे में पीसकर लेप करने से भगंदर का घाव जल्दी भरता है।

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