डायरिया रोग में सबसे पहले बार-बार दस्त होने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। अगर इस पर ध्यान न दिया जाए तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। इसलिए रोगी को उबालकर ठंडा पानी और ग्लूकोज मिलाकर देना चाहिए।
दस्त का उपचार
भुना हुआ जीरा पीसकर दही में मिलाकर खाएं। भुनी हुई सौंफ चबाकर उसका रस चूसें। रस चूसकर थूक दें।
चावल और मूंग की दाल से बनी खिचड़ी इस रोग के लिए बहुत उपयोगी है। खट्टे और कसैले पदार्थ भी इस रोग में लाभकारी होते हैं।
भुना हुआ जीरा पीसकर पतली छाछ में मिला लें। छलनी से छान लें और चुटकी भर नमक मिला लें। इस पेय को धीरे-धीरे पिएं।
एक गिलास पानी में एक चम्मच जीरा उबालें और इसमें एक चम्मच हरे धनिये का रस और थोड़ा नमक मिला लें। भोजन के बाद इसका सेवन करने से दस्त बंद हो जाते हैं।
ताजे छाछ में एक या दो चम्मच धनिये का रस मिलाकर सेवन करें। दस्त के अलावा यह अपच और लीवर की सूजन में भी लाभकारी है।
- चुटकी भर जायफल का चूर्ण दूध के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से अतिसार नष्ट होता है।
- बच्चों को अतिसार होने से जायफल पानी के साथ घिसकर चटाने से तुरन्त लाभ होता है।
- सूखे धनिये में हरी मिर्च, पिसा हुआ नारियल, अदरक और बिना बीज की काले अंगूर की चटनी चाटने को दी जाये तो रोगी को आराम मिलता है।सूखे आंवले को पीसकर उसमें अदरक का रस मिलाकर पेस्ट सा बना लें और नाभि के चारों ओर लगाएं या आम की गुठली की गिरी को पानी से पीसकर पेस्ट बनाएं और नाभि के आस-पास लगाएं। इन दोनों ही उपायों से लगभग हर प्रकार के दस्तों का निवारण होगा।
- तरल पदार्थों के अतिरिक्त एक या दो चम्मच इसबगोल की भूसी दही में मिश्रित करके खानी चाहिए। इससे आंतों को आराम मिलता है।
- दस्त की स्थिति में रोगी को पूरी तरह आराम करना चाहिए। किसी भी तरह का श्रम नहीं करना चाहिए।
- दस्त होने से शरीर में खनिज लवण भी कम हो जाते हैं। अतः आहार ऐसा खाएं जिनसे शरीर मे खजिन लवणों की शीघ्र पूर्ति हो सके।
- वैसे अतिसार दो-तीन दिन में स्वयं ही ठीक हो जाता है। परन्तु यदि दस्त में खून आने लगे तो तुरन्त चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। अतिसार में रोगी को मल-त्याग के समय अधिक पीड़ा हो तो बड़ी हरड़ तथा पिप्पली का चूर्ण हल्के उष्ण जल से सेवन कराएं।
- इस चूर्ण से मल सरलता से निकलता है और दर्द भी नहीं होता। आनंद भैरव की दो गोली धान्यपंचक क्वाथ से दिन में तीन बार देने से सभी तरह से अतिसार नष्ट होते हैं। रामबाण रस की गोली, भुना जीरा और सौंफ एक-एक ग्राम चूर्ण बनाकर, मधु मिलाकर सेवन कराने से अतिसार नष्ट होता है।
- रामवाण रस की एक गोली धान्यपंचक क्वाथ से दिन में तीन बार देने से सभी तरह से अतिसार नष्ट होते हैं। रामबाण रस की गोली, भुना जीरा और सौंफ एक-एक ग्राम चूर्ण बनाकर, मधु मिलाकर सेवन कराने से अतिसार नष्ट होता है।
- अनार के पत्ते, जामुन के पत्ते, सिंघाड़े के पत्ते, बालामोया, सोंठ-सभी दो-दो तोले मात्रा में लेकर 32 तोले जल में क्वाथ बनाकर चतुर्थ भाग शेष रह जाने पर रोगी को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाने से अतिसार नष्ट होता है।
- कुटज की छाल और अनार का छिलका दो-दो तोले लेकर क्वाथ बनाकर मधु मिलाकर सेवन कराने से रक्तातिसार अर्थात अतिसार के साथ रक्त का निष्कासन बंद होता है।
- जायफल, लौंग, जीरा, सुहागा-सभी बराबर मात्रा में कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर मधु व शक्कर (खांड) मिलाकर सेवन करने से अतिसार नष्ट होता है।
- बड़ी हरड़ का छिलका, सॉठ, इंद्रयव, पाठा, इन सबको समान मात्रा में लेकर कूट-पीटकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण को पांच माशे मात्रा में हल्के उष्ण जल से लेने पर अतिसार नष्ट होता है। इन औषधियों का क्याथ बनाकर भी पी सकते हैं।
- कपूर रस की एक गोली सुबह और एक गोली शाम को (मट्ठे) के साथ सेवन करने से पित्तज, रक्तातिसार और ज्वारातिसार नष्ट होते हैं।
- जामुन, आम और आंवले के पत्तों का रस निकालकर बकरी का दूध और मधु मिलाकर दिन में तीन बार सेवन कराने से रक्तातिसार नष्ट होते हैं।
- गंगाधर चूर्ण-नगरमोथा, वेल की गिरी, पठानी लोघ, मोचरस, धाय के फूल और इंद्रयव-सभी बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाएं। आधा ग्राम चूर्ण मट्ठे में थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर सेवन करने से अतिसार और दर्द खत्म होते हैं।
- दाड़िमाष्टक चूर्ण 1 से 3 ग्राम तक की मात्रा में जल के साथ सेवन करने से आमातिसार नष्ट होते हैं। रक्तातिसार में भी यह बहुत गुणकारी है।
- अहिफेनवटी की एक गोली प्रातः एक सायं को जल के साथ सेवन कराने से अतिसार के साथ रक्तस्राव तुरंत बंद होता है।
- कनक सुन्दर रस की दो गोली शाम को मट्ठे, अदरक का रस या मधु के साथ सेवन करने से ज्वर, तीव्र अतिसार, ग्रहणी और प्रवाहिका में बहुत लाभ होता है। इसके साथ रोगी को दही और भात खिलाएं।
- अगस्तिसूत रस की दो ग्राम की एक गोली भुने हुए जीरे और जायफल चूर्ण को मट्ठा के साथ सेवन कराने से अनेक प्रकार के अतिसार नष्ट होते हैं।
- सूतशेखर रस की एक ग्राम मात्रा की एक गोली सुबह, एक गोली शाम को कुटज के क्वाथ से सेवन कराने पर पित्तज व रक्तातिसार नष्ट होता है।