प्रोस्टेट ग्रन्थि पुरूषों में जनन अंग का एक भाग है। इसका मुख्य कार्य एक द्रव्य पदार्थ का स्राव करना है। 40-45 वर्ष की आयु वाले सभी पुरूषों में इस ग्रन्थि में वृद्धि आ जाती है। दिन के समय पहले से अधिक बार मूत्र त्याग के लिए जाना और रात्रि के समय बहुत बार मूत्र त्याग करना।

प्रोस्टेट ग्रन्थि में वृद्धि का उपचार

प्रोस्टेट ग्रन्थि में वृद्धि का उपचार जब ग्रंथि में वृद्धि हो जाये तो इसके बाद संभोग नहीं करना चाहिए। मूत्र का वेग होने पर उसे रोकना हानिकारक है। इस रोग के लिए खट्टे एवं तले हुए खाद्य-पदार्थ बहुत हानिकारक हैं। गाय का घी, मक्खन और दूध, लहसुन, अदरक एवं हींग रोगी के लिए बहुत उपयोगी हैं।

प्रोस्टेट ग्रन्थि की सुदम्य वृद्धि की चिकित्सा में ‘शिलाजीत’ सबसे श्रेष्ठ औषधि मानी गयी है। इसे आधा चम्मच की मात्रा में रात को सोते समय दूध के साथ देना चाहिए।

शिलाजीत से अनेक औषधियां तैयार की जाती है। इनमें सबसे अधिक प्रचलित योग (चन्द्रप्रभावटी) है। इसकी दो-दो गोलियों को दिन में तीन बार दूध के साथ सेवन करना चाहिए।

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