मोसंबी खाने के फायदे

मोसंबी का उपयोग पोषक आहार के रूप में भारी मात्रा में होता है ।
मोसंबी के फल एकाध महीने तक बिना बिगड़े ज्यों के त्यों बने रहते हैं। इसी कारण इसका विस्तृत व्यापार चलता है। मोसंबी नीबू की जाति का ही फल है और नीबू से अनेक गुना अधिक फायदा करनेवाला है। मोसंबी का फल नारंगी के बराबर होता है। इसका स्वाद नारंगी से अधिक मीठा होता है। मोसंबी रोगी या नीरोगी सभी के लिए श्रेष्ठ है। इसका रस अमृत के समान गुणकारी है। कुछ बीमारियों में तो रोगी को केवल मोसंबी के रस पर ही रखा जाता है।

Benefits Of Mosambi

नारंगी का छिलका उतार लेने पर अंदर की पेशियों का पूरा पिंड बिखर जाता है जबकि मोसंबी की पेशियाँ उसके छिलके के साथ सख्ताईपूर्वक चिपकी रहती हैं। मोसंबी का छिलका उसके अंदरवाले गर्भ से चिपका हुआ रहता है, अतः उसके ऊपरवाले हिस्से पर गोल चवन्नी जैसी छाप दिखाई देती है तथा फल के ऊपरी भाग में रेखाएँ भी होती हैं। चवन्नी छापवाली मोसंबी अत्यंत मीठी होती है।

मोसंबी के फूलों से अर्क और इत्र निकाला जाता है।
मोसंबी के छिलके से सुगंधित तेल निकला है। इस छाल से एसेन्स (अक) भी निकाला जाता है। यह अर्क साबुन, शराब तथा अन्य पेयों में डाला जाता है। मोसंबी के छिलके से निकाला हुआ तेल जल्दी उड़ जाता है, अतः इसका संग्रह जैतून के तेल के साथ मिलाकर किया जाता है।
मोसंबी मधुर ,शीतल ,स्वादिष्ट,रुचि, उत्पन्न करनेवाली, धात्वर्धक मकानेवाली है। यह पौष्टिक, हृदय को उत्तेजित काकथा को शान्ता करनेवाली और संडक देनेवाली है।

मोसंबी के रस में शक्कर डालकर, उसका शरबत बनाकर पीने से ही ऋतु में उल्क देती है। यह गर्मियों का उत्तम पेय है। मोसंबी का रस पीने से शारीरिक शक्ति और कान्ति में वृद्धि होती

सुखी मोसंबी को जलाकर, उसकी राख को शहद में चाटने से उल्टी बंद होती है।

मोसंबी के छिलके निकाल कर खाने के बदले उसका रस पीने से यह ज्यादा शीतलता प्रदान करती है। डॉक्टर बुखार में मोसंबी का रस लेने की छूट देते हैं। परंतु बुखार में खाँसी या जुकाम के लक्षण प्रकट होने पर इसका रस नहीं देना चाहिए। मोसंबी इसके ठंडक के गुण के कारण सबी-जुकाम को शिकायतवालों को अनुकूल नहीं रहती।

वैज्ञानिक सत के अनुसार सोसंबी में विटामिन ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ होता है। मोसंबी के विटामिन बड़ों की अपेक्षा बच्चों को ज्यादा लाभ करते हैं। इसके रस का सेवन करने से बच्चों की पाचनशक्ति तेज बनती है। मोसंबी के सेवन से रक्त और शारीरिक तेज बढ़ता है। ज्वर के रोगियों के लिए इसका रस पध्य माना जाता है। इसीलिए डॉक्टर बीमारी में इसका सेवन करने की विशेष सिफारिश करते हैं।