सिंघाड़े खाने के फायदे



दूध की अपेक्षा सिंघाड़ों में बाईस प्रतिशत खनिज क्षार अधिक होते हैं। सिंघाड़े अति पौष्टिक और कुछ भारी हैं। परंतु जो लोग इन्हें सरलता से पचा सकते हैं उन्हें इनका सेवन करने लायक है। सिंचाई ताकत देनेवाले तथा रक्त और ज्ञानतंतु को बल देनेवाले हैं।

सिंघाड़े सफेद वर्ण के होते हैं। इनकी गणना फलाहार में होती है, अतः इन्हें सुखाकर, इसका आटा बनाकर, उससे पूड़ी, रोटी, लपसी, लड्डू, कढ़ी तथा अन्य अनेक बानगियाँ बनाई जाती हैं। सिंघाड़े के आटे की खीर खूब स्वादिष्ट होती है और बहुत सरलता से पच जाती है। सिंघाड़े का साग भी होता है। सिंघाड़े का आटा पौष्टिक पाकों में भी डाला जाता है।

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सूखे सिंघाड़ों का आटा भी पचने में हल्का और बीमार लोगों के लिए अनुकूल माना जाता है। साबूदाने या चावल की अपेक्षा यह ज्यादा पौष्टिक है। सिंघाड़े मांसवर्धक हैं, अतः जो दुबले-पतले और शक्तिरहित हो गये हैं उनके लिए यह अति उपयोगी है।

सिंघाड़े वास्तव में बहुत सस्ते और पौष्टिक हैं। इसका अधिक मात्रा में उपयोग करने से शरीर को पर्याप्त पोषण मिल जाता है। शरीर में जिन तत्त्वों की कमी हो वे प्राप्त होते हैं और शरीर-क्षय रुकता है। हर व्यक्ति शरीर को तंदुरुस्त और ताजगीपूर्ण रखने के लिए सिंघाड़े का उचित उपयोग करे।

सिंघाड़े शीतल, मधुर, गुरु, वृष्य, कषाय, मलशोषक; वीर्य, वायु

तथा कफ को बढ़ानेवाले एवं पित्त, रक्तविकार या रक्तपित्त और दाह की मिटानेवाले हैं। ये मोह, भ्रम, त्रिदोष और सूजन दूर करते हैं ये श्रमहर और रक्तस्तंभक हैं। स्त्री के मूढगर्भ (सूखे हुए गर्भ) को सजीवन करके बढ़ाते हैं। सिंघाड़े में सगर्भा तथा उसके गर्भ को पुष्ट करने का गुण है। सिंघाड़े का रस मधुर तथा शीतवीर्य, गुरु, वृष्य, पौष्टिक तथा ग्राही होने से वात, पित्त, कफ, दाह, रक्तपित्त, ज्वर और संताप का नाश करता है। सिंघाड़े शिश्न को दृढ़ता प्रदान करनेवाले और वृष्यतम हैं। सिंघाड़े की बेल का रस दाहशामक और नेत्र-विकारों के लिए उपयोगी है।

सिंघाड़े की लपसी सगर्भा को दिन में दो-तीन बार दूध में देने से रक्तस्राव बंद होता है।

सिंघाड़े का क्वाथ पीने से मूत्रकृच्छ्र मिटता है। सिंघाड़े की छाल घिसकर लगाने से सूजन व दर्द मिटता है।

वैज्ञानिक मतानुसार सिंघाड़ों में प्रोटीन, चरबी, कार्बोहाइड्रेट, फॉस्फोरस, चूना, खनिज तत्त्व, लौह, विटामिन ‘ए’, स्टार्च और मेंग्नीज काफी मात्रा में होता है। सिंघाड़े में चरबी सवा पाँच प्रतिशत, प्रोटीन सवा तीन प्रतिशत, क्षार सत्तर प्रतिशत और कार्बोहाइड्रेट साढ़े चार प्रतिशत होता है।