भिंडी के फायदे



भिंडी का मूल वतन अफ्रीका माना जाता है, परंतु आजकल यह भारत में सर्वत्र होती है। इसका उत्पादन काफी मात्रा में होता है। भिंडी गर्म ऋतु की फसल है। ठंडी का इस पर खराब असर पड़ता है। भिंडी हर प्रकार की जमीन में होती है, फिर भी मध्यम प्रकार की मुरमुरी, बलुई और अच्छी तरह खाद डाली हुई जमीन में यह अच्छी होती

भिंडी का पौधा लगभग चार-पाँच फीट ऊँचा और सीधा होता है। इसके पौधे में पत्रवृन्त के आगे फूल लगते हैं और प्रत्येक फूल पर भिंडी आती है। वर्षाऋतु के प्रारंभ में बारिश होने पर जून-जुलाई में (ज्येष्ठ-आषाढ़ में) एवं सर्दियों में माघ मास में, इस प्रकार वर्ष में दो बार भिंडी बोई जाती है। ज्येष्ठ-आषाढ़ में बोई हुई भिंडी को भाद्रपद-आश्विन तक और माघ मास में बोई हुई भिंडी को चैत्र-ज्येष्ठ तक भिंडी लगती है।

BHINDI

गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में भिंडी शीतकालीन फसल के रूप में भी बोई जाती है। परंतु वर्षाऋतु इसे ज्यादा अनुकूल रहती है। भाद्रपद की भिंडी ज्यादा फलती-फूलती है।

भिंडी में अग्रिम और पछेती-इस प्रकार दो किस्में होती हैं। इसके छह धारी और आठधारी ऐसे दो अन्य प्रकार भी हैं। रोयेंदार भिंडी की एक और किस्म भी है। इस प्रकार भिंडी की अनेक किस्में होती हैं।

भिंडी फलने पर हर दूसरे या तीसरे दिन उन्हें उतारने का काम जारी रखा जाता है। कितने दिनों में भिंडियों को तोड़ लेना चाहिए इसका आधार किस्म और ऋतु पर रहता है। भिंडी कोमल हो तब यदि पौधे से न उत्तार ली जाए तो पौधे और भिंडी लगने की प्रक्रिया पर विपरीत असर पड़ता है।

साग के रूप में भिंडी का खूब उपयोग होता है। भिंडी का साग पौष्टिक और उत्तम पथ्य है। काँटेदार खुरदरी भिंडी की अपेक्षा नरम-मुलायम भिंडी अधिक गुणकारी तथा पथ्यकर है। जरठ भिंडी साग के लिए निरुपयोगी है। भिंडी का सूप, नर्म साग, भिंडी की कढ़ी, रायता आदि लोकप्रिय बानगियाँ बनती हैं।

पकी सूखी भिंडियों में से काले या बादामी रंग के और सफेद आँखवाले बीज निकलते हैं। इन बीजों का कभी-कभी सेंककर कॉफी के स्थान पर उपयोग किया जाता है। भिंडी के प्रकांड़ में से रेशे निकाले जाते हैं। कागज-उद्योग के लिए भिंडी उपयोगी है। भिंडी के भीतर का चिकना रस रंग में डालने के काम में आता है।

भिंडी खट्टी, ग्राही, वायु और कफ करनेवाली, पौष्टिक, वीर्यवर्धक (वृष्य) और रुचि उत्पन्न करनेवाली है।

रोज सुबह बीस-पच्चीस कोमल भिंडी खाने से धातु-पुष्टि होती है और शक्ति आती है।

भिंडी के मूल शर्करा के साथ खाने से आमवात में लाभ होता है। भिंडी के ताजा बीज पीसकर, शक्कर डालकर पीने से प्रमेह की जलन कम होती है।

खाँसी, मंदाग्नि और वायुवालों को भिंडी का उपयोग नहीं करना चाहिए।

वैज्ञानिक मत के अनुसार भिंडी में प्रोटीन, कॅल्शियम, मॅग्नेशियम, फॉस्फरस, पोटेशियम, गंधक, सोडियम, लोह, ताँबा एवं विटामिन ‘ए’ तथा ‘सी’ होता है।