सभी पालको को यह चिंता रहती है कि उनका बच्चा बोलता नहीं,तुतलाता है, कम बोलता है तो आज हम इसके बारे में चर्चा करेंगे कि बच्चों में स्वर विकास कैसे करें।
बच्चों के स्वर विकास संबंधित समस्याओं का निवारण :-
बच्चा बोलता नहीं :-
बच्चे के मानसिक और शारीरिक आज का पता लगना जरूरी है। अगर बच्चे की मानसिक एवं शारीरिक विकास ढाई वर्ष की उम्र में संतुल्य है और बच्चा अगर नहीं बोलता है तो यह एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है क्योंकि कुछ बच्चे 3 से 4 वर्ष की उम्र तक बोलना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा बच्चे में कुछ हैबिट प्रॉब्लम भी लगती है। आप अपने बच्चे की किसी योग्य विशेषज्ञ से पूरी तरह से जांच पड़ताल कराएं ताकि आपको सही वजह का पता लग सके
बच्चा बोलना कब सीखेगा :-
16 महीने के बच्चे के लिए एक सामान्य बात है। बच्चे अक्सर 13 माह से 3 या 4 वर्ष की उम्र तक बोलना सीखते हैं। कोई बच्चा डेढ़ व्हाट्सएप पर ही अच्छी तरह से बोल सकता है तो कोई बच्चा यह काम ढाई वर्ष या 3 वर्ष पर भी कर सकता है। यहएक सामान्य विविधता है। बच्चे के विकास की दर ठीक होनी चाहिए। अगर बच्चा इशारे से सब कुछ समझता है। इसलिए यह सामान्य रूप होना चाहिए प्रोग्राम वैसे इस उम्र में बच्चे की हर दो या तीन माह के बाद किसी बाल रोग विशेषज्ञ से जांच पड़ताल करते रहना चाहिए प्रोग्राम आज का जुबान पर तेंदुआ जैसी किसी भी परिस्थिति को मान्यता नहीं है
बच्चा साफ नहीं बोलता :-
बच्चे का साथ तरह से बोलना तकरीबन 4 वर्ष की आयु तक हो सकता है अगर बच्चा इस उम्र के बाद भी ठीक से नहीं बोल पाता तो बाल रोग विशेषज्ञ एवं स्पीच थेरेपिस्ट से परामर्श करना चाहिए।
बच्चा तूतलाता है :-
बच्चे में तूतलाने के प्रमुख कारण – बच्चे में आत्मविश्वास की कमी, सख्त अध्यापक या माता-पिता, बच्चे की सही तरह से देखभाल का भाव, बच्चे को अधिक लाड प्यार, बच्चे में अपने आप को अन्य सपाटी और भाई-बहन की तुलना में निम्न समझना। अगर आपके बच्चे में ऐसा कुछ है तो किसी विशेषज्ञ की मदद से इस को दूर करना होगा। इसमें आपको किसी स्पीच थैरेपिस्ट की मदद भी लेनी चाहिए। दूसरे समस्या के लिए यह जानना जरूरी है कि बच्चे का वजन और लंबाई कितना है। अगर यह बच्चे की उम्र के अनुपात में है तो कोई चिंता की बात नहीं है। बच्चे की खुराक में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और मिनरल उपयुक्त मात्रा में होनी चाहिए प्रोग्राम इसके लिए बच्चे को दूध फल सब्जियां आदि उपयुक्त मात्रा में लेनी चाहिए ।
बच्चा हकलाता है :-
बच्चे में शब्दों का सही उच्चारण 4 वर्ष की उम्र तक होता है। क्योंकि बच्चे की उम्र अगर इससे कम है तो इसे हकलाना नहीं कहेंगे। इससे कम उम्र की अधिकतर बच्चे हकला कर ही बोलते हैं। तकरीबन 4 वर्ष की आयु तक बच्चे का बोलना ठीक हो जाएगा अगर तब भी बच्चा का कल आता है तो किसी स्पीच थैरेपिस्ट की मदद लेनी जरूरी है।
आवाज फट गई है :-
आवाज का फटना एक गंभीर समस्या है इसका तात्पर्य है कि बच्चे की सांस की नली में या नली के मुंह के आसपास कुछ गड़बड़ है। बच्चे को तुरंत किसी योग्य विशेषज्ञ से जांच कराना जरूरी है। विशेष उम्र की ज्यादातर बच्चे में ज्यादा चीखने चिल्लाने की वजह से भी सांस की नली में सूजन आ जाती है जो कि बच्चे को बाप इत्यादि दिलाने से 7 से 8 दिन में समाप्त हो जाती है।
बच्चा हकलाने लगा है :-
कई बार बच्चे सफ बोलने के बाद भी हकलाते हैं। इसका कारण संगति से हो सकता है यदि कोई उसके साथ खेलने वाला व्यक्ति अगर आता है तो बच्चा उसकी नकल करने लगता है जिससे वह भी हकलाने लगता है इसके लिए बच्चे को उस व्यक्ति के साथ खेलने से रोकना चाहिए तथा किसी स्पीच थैरेपिस्ट की मदद लेनी चाहिए।
बच्चा अक्ल आता है :-
स्कूल जाने वाले बच्चे मित्र बनाना या हकलाना बच्चे के विकास के लिए एक समस्या बन सकती है। सर्वप्रथम आप बच्चे को किसी स्पीच थैरेपिस्ट को दिखाएं ताकि जिस शब्दों को बोलने में समस्याएं वह उसकी सही तरह से अभ्यास करा सके। ऐसे बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। था आपको यह ध्यान रखना होगा कि बच्चे की आदत का जिक्र पड़ोसियों के सामने ना करें। बच्चे को कभी भी इस आदत के लिए डांटना नहीं चाहिए। बच्चे को हमेशा प्रेरित करना चाहिए कि इस तरह की समस्या एक सामान्य चीज है और कुछ महीनों में यह ठीक हो जाएगी । इसके अलावा बच्चे को समझाएं कि कोई भी वह वाक्य आराम से धीरे धीरे बोले क्योंकि कई बार जल्दी बोलने के चक्कर में भी हकलाना शुरू हो सकता है।
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