रिफाइंड और डबल रिफाइंड तेल का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, तेल को रिफाइन करने के लिए उसमें से सारे प्रोटीन निकाल दिए जाते हैं। इसलिए आप शुद्ध चीजें नहीं बल्कि कचरा खाते हैं।
रिफाइंड तेल कई बीमारियों का कारण बनता है। इस खतरनाक तेल में पाम ऑयल भी मिलाया जाता है। खाने में हमेशा शुद्ध तेल का इस्तेमाल करें। अलसी का तेल खाना सबसे अच्छा है। शुद्ध तेल हवा को शांत करने में मदद करता है।
कैसे तैयार होता है रिफाइंड तेल?
यह तेल कास्टिक सोडा, फॉस्फोरिक एसिड और ब्लीचिंग क्ले जैसे रसायनों को मिलाकर तैयार किया जाता है। तेल को छिलके सहित बीजों से निकाला जाता है। इस विधि में तेल में आने वाली सभी अशुद्धियों को साफ करने के बाद तेल को रिफाइंड करके उसे स्वादहीन, गंधहीन और रंगहीन बनाया जाता है।
रिफाइंड तेल के प्रमुख नुकसान
रिफाइंड तेल का उपयोग खाना पकाने में बहुत आम हो गया है, लेकिन इसके सेवन के कुछ हानिकारक प्रभाव भी हो सकते हैं। यहां रिफाइंड तेल के प्रमुख नुकसान दिए गए हैं:
1. पोषक तत्वों की कमी:
- रिफाइनिंग प्रक्रिया में तेल को उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप तेल के प्राकृतिक पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट नष्ट हो जाते हैं। इसके कारण तेल का पोषण मूल्य कम हो जाता है।
2. ट्रांस फैट की उपस्थिति:
- रिफाइनिंग प्रक्रिया के दौरान, तेल में ट्रांस फैट का निर्माण हो सकता है। ट्रांस फैट हृदय रोगों का जोखिम बढ़ाता है, क्योंकि यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ाता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को कम करता है।
3. हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव:
- रिफाइंड तेल में अक्सर ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है। जब इसका अत्यधिक सेवन किया जाता है, तो यह शरीर में सूजन और हृदय रोगों का कारण बन सकता है, खासकर जब ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन कम हो।
4. पाचन तंत्र पर प्रभाव:
- रिफाइंड तेलों में अक्सर केमिकल्स और एडिटिव्स होते हैं, जो पाचन तंत्र के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इससे पाचन समस्याएँ, जैसे एसिडिटी और अपच, हो सकती हैं।
5. वजन बढ़ाने में योगदान:
- रिफाइंड तेल कैलोरी में उच्च होता है और इसमें आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। इसका अत्यधिक सेवन वजन बढ़ने का कारण बन सकता है, विशेष रूप से जब इसे अन्य अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के साथ खाया जाता है।
6. कैंसर का खतरा:
- रिफाइनिंग प्रक्रिया के दौरान कुछ तेलों में हानिकारक केमिकल्स, जैसे कि हेक्सेन, का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, उच्च तापमान पर गर्म करने से तेल में फ्री रेडिकल्स का उत्पादन हो सकता है, जो कैंसर के विकास का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
7. हड्डियों की सेहत पर असर:
- रिफाइंड तेल में ओमेगा-6 फैटी एसिड की अधिकता हड्डियों के लिए हानिकारक हो सकती है। इसका अधिक सेवन हड्डियों की सघनता को कम कर सकता है, जिससे हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं।
8. रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव:
- रिफाइंड तेलों में पोषक तत्वों की कमी और ट्रांस फैट की उपस्थिति शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकती है, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
9. त्वचा और बालों पर असर:
- रिफाइंड तेलों में पोषण की कमी त्वचा और बालों की सेहत पर भी असर डाल सकती है। इससे त्वचा में सूखापन, एलर्जी, और बालों के झड़ने की समस्या हो सकती है।
10. दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव:
- लगातार रिफाइंड तेल का सेवन दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और अन्य मेटाबोलिक विकारों का जोखिम बढ़ा सकता है।
स्वास्थ्य के लिए, शुद्ध, अनरिफाइंड और ठंडे प्रेस किए गए तेलों का उपयोग करना बेहतर होता है, जैसे कि जैतून का तेल, नारियल तेल, या तिल का तेल। इन तेलों में अधिक पोषक तत्व होते हैं और ये स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद होते हैं।