रात्रि के समय बिस्तर पर बिना इच्छा के मूत्र त्याग करना, शय्या मूत्रण’ कहलाता है।

यदि मूत्र या गुर्दे में कोई संक्रमण हो या मूत्र प्रणाली के किसी भाग में दोष पाया जाये तो बच्चा बिस्तर पर पेशाब कर सकता है।

शय्या मूत्रण को दूर करने के लिए सबसे पहले उसका कारण ढूंढ़ना चाहिए कि वह शारीरिक है या मानसिक है। जो भी कारण हो, पहले उसे दूर करना चाहिए। बच्चे को शाम के बाद कोई भी पेय पदार्थ नहीं देना चाहिए।

बिस्तर पर सोने से पहले पेशाब कराने का अभ्यास लाभ पहुंचाता है। इस रोग के उपचार के लिए आयुर्वेद में बच्चों की तंत्रिका प्रणाली और मूत्र प्रणाली को बल प्रदान करने के लिए औषधियां दी जाती हैं।

बिस्तर पर पेशाब करने के उपचार

आयुर्वेद में इस रोग को रोकरने की बहुत प्रचलित औषधि चन्द्र प्रभावटी है। प्रायः इस औषधि की गोलियां ही मिलती है। पांच साल के बच्चे को इसकी आधी गोली खाली पेट दूध के साथ द दें।

इस रोग के लिए आमतौर पर शिलाजीत नामक औषधि द्रव्य का प्रयोग किया जाता है। इस औषध को आघित, या बच्चा अधिक छोटा हो तो चौथाई भाग दिन में दो बार दूध में मिलाकर देना चाहिए।

सायं चार बजे के बाद तरल खाद्य-पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे खाद्य-पदार्थ जो मसालों से युक्त हों, जो कब्ज पैदा करें या पेट में वायु पैदा करें (विशेषकर छोले) का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

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