Treatment Of Indigestion
पानी के साथ वचा और नमक का सेवन करने से उल्टी के कारण होने वाली बदहजमी से बचाव होता है।
धनिये और सोंठ के काढ़े से बदहजमी ठीक हो जाती है। सुबह-शाम क्वाइ पीने से अग्नि उत्पन्न होती है और मूत्र विसर्जन में लाभ होता है।
भुनी हुई हींग, सोंठ, मिर्च, पीपल और सेंधानमक को बराबर मात्रा में लेकर पानी में पीसकर पेट पर लेप करने से सभी प्रकार का अजीर्ण ठीक हो जाता है।
हरड़ और छोटी पीपल को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर दही के पानी या गर्म पानी के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के अजीर्ण रोग ठीक हो जाते हैं। अरुचि, पेट फूलना और पेट का दर्द भी ठीक हो जाता है।
→ मुस्तकरिष्ट 15 मि.ली. इस मात्रा को पानी में मिलाकर सेवन करने से पुराना और अजीर्ण रोग ठीक हो जाता है। भोजन के बाद इसका सेवन करें। भस्म वटी की एक या दो गोली गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से विष्टभदाजीर्ण नष्ट हो जाता है। इसका सेवन फुफ्फुस प्रदाह, गठिया, उदरशूल तथा गैसजन्य अपच में बहुत लाभकारी है।
शंख भस्म 125 मि.ग्रा. नींबू का रस पर्याप्त मात्रा में मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना रोग ठीक हो जाता है। रोगी की स्थिति के अनुसार भोजन के बाद गर्म पानी, मट्ठा या सौंफ अर्क के साथ एक या दो अग्नितुंडी बटी का सेवन करने से पुराने विकार दूर हो जाते हैं।
चित्रकादि बटी की 2 गोली सुबह और 2 गोली शाम को गुनगुने पानी, मट्ठा, अनार या नींबू के रस के साथ लेने से आंव का पाचन अच्छा होता है। यह सामान्य शूल को नष्ट कर अग्नि को प्रज्वलित करती है। रोगी की स्थिति के अनुसार 4 ग्राम ज्वालानल रस को नवु रस के साथ दिन में दो बार सेवन करने से अपच ठीक हो जाता है। अपच रोग में हिंगवाष्टक चूर्ण को 3 ग्राम घी के साथ सेवन करने से बहुत लाभ होता है। रोगी की स्थिति के अनुसार 1 से 2 ग्राम अग्निकुमार रस को नींबू के रस के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से अजीर्ण रोग ठीक हो जाता है।
अजीरकंटक रस मट्ठे के साथ 250 मिलीग्राम। इसमें थोड़ी मात्रा में सेंधा नमक मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से बदहजमी ठीक हो जाती है। संजीवनी वटी (टैबलेट) की एक-एक गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से बदहजमी ठीक हो जाती है। यह अग्निवर्धक और पाचक भी है।
डी. आरोग्यवर्दिनी वटी की दो गोली सुबह और दो गोली शाम को पानी के साथ सेवन करने से विष्टभाजीर्ण ठीक हो जाता है। डी: लवण भास्कर चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में दोपहर के समय पानी के साथ सेवन करें।
ऐसा करने से विष्टब्धाजीर्ण तथा वात, पित्त और कफ संबंधी अग्निमांद्य नष्ट हो जाते हैं।
→ अग्निमुख चूर्ण 2 मिलीग्राम। इसे गर्म पानी के साथ अधिक मात्रा में सेवन करने से अजीर्ण, मवाद, श्वास और दस्त में बहुत लाभ होता है। पीठी से बनी चीजों को पचाने के लिए गर्म पानी पीना चाहिए। नारियल और ताड़ के फल खाने से होने वाले अजीर्ण रोग में चावल खाने से पेट हल्का हो जाता है।
→ मीठे अनार का रस निकालकर उसमें भुना जीरा और गुड़ मिलाकर दिन में दो से तीन बार सेवन करें, अपच की शिकायत दूर हो जाएगी। कटहल खाने से बदहजमी होने पर केला खाएं। अगर आप लड्डू, मालपुआ, पूड़ी आदि बहुत ज्यादा खा लेते हैं तो पुदीना पाउडर उसे जल्दी पचा देता है। ज्यादा केले खाने से होने वाली बदहजमी से राहत पाने के लिए दो चम्मच घी खाएं। सोंठ, काली मिर्च, पीपर और सेंधा नमक बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 5 ग्राम की मात्रा में छाछ में मिलाकर पीने से अजीर्ण रोग ठीक हो जाता है।
फेनी और पापड़ को पचाने के लिए सहिजन के बीज बहुत अच्छे होते हैं। फालसा या बेल अधिक मात्रा में खाने के बाद नीम का नंबर खाने से यह आसानी से पच जाता है। ,
→ यदि खिचड़ी अधिक खा ली हो तो उसमें दो चुटकी सेंधा नमक मिलाकर खाने से वह सुपाच्य हो जाती है। उड़द, चना और मूंग की दाल को पचाने के लिए धतूरे के दो या तीन शुद्ध बीज खाना फायदेमंद होता है। एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच अदरक का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से अपच में लाभ होता है। खीरे को पचाने के लिए गेहूं के कुछ दाने खाएं।
अधिक घी के कारण अजीर्ण होने पर जम्भिरी नींबू का रस पीना चाहिए। अगर आपने बहुत ज्यादा पानी पी लिया है तो थोड़ा अजमोद खा लें। चावल को पचाने के लिए गर्म पानी पियें। अगर आप बहुत ज्यादा आम खाते हैं तो उसे पचाने के लिए दूध पियें। पांच ग्राम तुलसी के पत्ते और पांच-दस काली मिर्च एक साथ पीसकर चाटने से अजीर्ण के सारे विकार दूर हो जाते हैं।
छाछ में या भोजन से पहले एक ग्राम हींग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बदहजमी से राहत मिलती है।
अगर अपच के कारण पेट में दर्द हो तो तुलसी और अदरक का रस मिलाकर एक चम्मच दो से तीन घंटे के अंतर पर तीन बार लें। अगर आप इस जूस को गुनगुने पानी के साथ लेंगे तो आपको जल्द ही फायदा मिलेगा। तुलसी के पत्तों को एक ग्राम काले नमक में पीसकर शहद की तरह चाटें।