वातपित्त ज्वर- वात रोग (जिसे पोडाग्रा के रूप में भी जाना जाता है जब इसमें पैर का अंगूठा शामिल हो) एक चिकित्सिकीय स्थिति है आमतौर पर तीव्र प्रदाहक गठिया—लाल, संवेदनशील, गर्म, सूजे हुए जोड़ के आवर्तक हमलों के द्वारा पहचाना जाता है।
वातपित्त ज्वर का उपचार
- त्रिफला, सेमल की मूसली, अमलतास का गूदा, रासना और अडूसा का क्वाथ बनाकर पीने से वात-पित्त ज्वर शीघ्र नष्ट होता है।
- वैद्यनाथ बटी की एक गोली गिलोय सत्व से रस के साथ सुबह और शाम सेवन करने से वात-पित्त ज्वर नष्ट होता है। इसके साथ दो घंटे के अंतराल से पंचभ्रद क्वाथ के सेवन करने से अधिक लाभ होता है।
- छोटी कटेरी, खिरेटी, रासना, त्रायमाण, गुर्च तथा मसूर की दाल बराबर मात्रा में लेकर क्वाथ बनाकर पीने से बात-पित्त ज्वर नष्ट होता है।
- सोंठ, गुर्च, नागरमोथा, चिरायता और लघु पंचमूल का क्वाथ बनाकर सुबह-शाम पीने से बात-पित्त ज्वर शीघ्र नष्ट होता है।
- चिरायता, मुनक्का, आंवला, कपूर, गुर्च का क्वाथ बनाकर थोड़े के साी पीने से बात-पित्त ज्वर नष्ट होता है।