सूखे मेवे के रूप में प्रोटीन तथा विटामिन ‘बी’ से भरपूर काजू का स्थान सर्वोपरि है। काजू के पेड़ आम्रवृक्ष के समान सदा हरे-भरे रहनेवाले और मध्यम कद के होते हैं।
इसके फल कोमल और अमरूद के फल से मिलते-जुलते होते हैं। फल पकने पर पीले रंग के होते हैं। फल के आगे के हिस्से में इसका बीज लगा रहता है। फल का छिलका सख्त होता है। इसके बीज को ही ‘काजू’ कहते हैं। इसके भीतर भिलावाँ के सदृश चिकनाहट होती है। शरीर में लगने पर भिलावाँ की तरह फूट निकलती है।
काजू की किस्में
काजू में दो किस्में होती हैं : सफेद और श्याम। सूखे मेवे के रूप में काजू और द्राक्ष मिलाकर खाये जाते हैं। ये आबाल-वृद्ध सभी को रुचिकर और स्वादिष्ट लगते हैं। काजू के पके फलों का खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग होता है। इसके पके फल नल-विकारनाशक हैं। काजू के सूखे बीजों को चीनी या शक्कर की चासनी में डालकर मिठाई बनाई जाती है। सर्दियों के पार्कों में बादाम, चिरौंजी और पिस्तों के साथ काजू के बीच भी डाले जाते हैं। अपक्व काजू के बीजों का दूध जहाजों के तल-भाग में लगाने से जहाजों का नीचे का हिस्सा पानी से खराब नहीं होता। काजू के सेवन की मात्रा बड़े लोगों के लिए दो-तीन तोला, और छोटे बच्चों के लिए आधा-एक तोला है। काजू के तेल की मात्रा तीन से छः माशा है।
काजू का फल कसैला, मधुर, लघु और धातुवर्धक है। यह वायु, कफ, गुल्म, उदररोग, ज्वर, कृमि, व्रण, अग्निमांद्य, कोढ़, संग्रहणी,, अर्श-मस्से और आनाह-अफरा मिटाता है। यह वातशामक, भूख लगानेवाला और हृदय के लिए हितकर है। हृदय की दुर्बलता एवं स्मरणशक्ति की कमजोरी के लिए काजू उत्तम लाभप्रद हैं।
काजू के बीज से पीले रंग का तेल निकलता है। यह तेल पौष्टिक और जैतून के तेल से ज्यादा गुणकारी व श्रेष्ठ है। शुद्ध घी के अभाव में काजू का तेल उत्तम फायदा करता है!
सर्दियों में बड़े सवेरे प्रतिदिन खाली पेट दो-तीन तोला काजू खाकर ऊपर शहद चाटने से मस्तिष्क की शक्ति तथा स्मरण शक्ति बढ़ती है। टॅप के साथ काजू के पके फल काली मिर्च और नमक डालकर, तीर-चार दिन, बड़े सवेरे खाने से नल-विकार मिटता है। अथवा, काजू के पके फल खाने से पेट में बड़ी आँत में एकत्रित वायु (नलबंध-वायु) मिटता है।
काली द्राक्ष या हरी द्राक्ष के साथ दो-तीन तोला काजू खाने से, अजीर्ण या गर्मी के कारण होनेवाली कब्जियत दूर होती है।
काजू के कच्चे फल का गर्भ और त्तिवर के फल को पानी में घिसकर लेप करने से बदगाँठ जल्दी पककर फूट जाती है।
काजू का तेल चमड़ी के बाहरी भाग पर स्थित मस्से पर लगाने से फायदा करता है। पैर फटकर दरारें पड़ गई हों तो काजू के तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
काजू के बीजों का दूध कीचड़ या बरसात का पानी लगने से आनेवाली नमी पर चुपड़ने से लाभ होता है।
काजू गर्म हैं, अतः द्राक्ष, शर्करा या शहद के साथ इनका सेवन करना अधिक हितावह है। काजू गर्म होने से ज्यादा मात्रा में यदि इनका सेवन किया जाए तो नाक से रक्तस्राव होने की संभावना है।
वैज्ञानिक मतानुसार काजू के बीज और उसके तेल में प्रोटीन तथा विटामिन ‘बी’ काफी मात्रा में हैं। काजू का प्रोटीन शरीर में बहुत जल्दी पच जाता है।