कटिवेदना : कारण व उपचार

कटिवेदना का उपचार

कटिवेदना का प्रमुख कारण तन्तुओं में सूजन (तन्तुशोध) है। पीठ के निचले भाग की मांसपेशियों में लम्बे समय से होने वाली वेदना तथा तेज ऐंठन (Spasm) से दर्द होता है।

रोगी को एरन्ड का तेल. एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पिलाना चाहिए। इसके तीव्र प्रभाव से बचने के लिए कच्चे तेल के बदले परिष्कृत (शुद्ध) किया हुआ एरण्ड का तेल प्रयोग करना चाहिए।

  • कटिवेदना के रोगी के लिए चावल की अपेक्षा गेहूं, बाजरा और ज्वर अधिक उपयोगी है, अतः इन अनाजों का सेवन अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में करना चाहिए खट्टे ताजे तले हुए पदार्थो एवं दालों के सेवन से पूर्ण रूप से बचना चाहिए। प्रसारणी के रस को तिल के साथ मिलाकर विशेष विधि के अनुसार पकाकर औषधि तेल तैयार किया जाता है। जो दर्द वाले भाग में लगाने से लाभप्रद होता है।
  • एक चम्मच शहद और एक चौथाई चम्मच काली मिर्च का पाउडर प्रसारणी के साथ मिलाकर इसका सेवन लगभग एक माह तक करना चाहिए।

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