खांसी के कारण व उपचार

खांसी (Cough) एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है, जिसमें हमारा शरीर श्वसन तंत्र (respiratory system) में मौजूद जलन, संक्रमण, या बाधाओं को हटाने के लिए बलपूर्वक हवा को फेफड़ों से बाहर निकालता है। यह एक सुरक्षा तंत्र है जो फेफड़ों और वायुमार्ग को साफ रखने में मदद करता है।

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खांसी के प्रकार

खांसी को आमतौर पर दो मुख्य प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. सूखी खांसी (Dry Cough):
  • विशेषताएँ: इस खांसी में बलगम (mucus) या कफ नहीं बनता। गले में खुजली, जलन, या खिचखिच के कारण यह खांसी होती है।
  • कारण: वायरल संक्रमण, एलर्जी, वायुमार्ग में जलन, धूल, धुएं, या प्रदूषण के कारण हो सकती है।
  1. गीली खांसी (Wet Cough):
  • विशेषताएँ: इस खांसी में बलगम या कफ उत्पन्न होता है। इसे उत्पादक खांसी (productive cough) भी कहा जाता है।
  • कारण: फेफड़ों में संक्रमण, जैसे ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, या सर्दी-खांसी के कारण हो सकती है। यह खांसी शरीर को बलगम या कफ से मुक्त करने के लिए होती है।

खांसी के संभावित कारण

खांसी कई कारणों से हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:

  1. सर्दी और फ्लू: यह खांसी का सबसे आम कारण है, जिसमें गले में जलन और श्वसन मार्ग में बलगम उत्पन्न होता है।
  2. एलर्जी: धूल, पराग (pollen), जानवरों के बाल, या अन्य एलर्जेंस के प्रति संवेदनशीलता के कारण खांसी हो सकती है।
  3. धूम्रपान: धूम्रपान करने वालों में गले और फेफड़ों में जलन होती है, जिससे खांसी होती है, जिसे स्मोकर की खांसी भी कहा जाता है।
  4. अस्थमा: अस्थमा के रोगियों में खांसी आम होती है, विशेष रूप से रात में या सुबह के समय। यह खांसी श्वसन मार्ग की संवेदनशीलता के कारण होती है।
  5. गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD): इसमें पेट का अम्ल (acid) अन्नप्रणाली (esophagus) में लौट आता है, जिससे गले में जलन और खांसी हो सकती है।
  6. फेफड़ों के संक्रमण: निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, या तपेदिक जैसी स्थितियों में गीली खांसी हो सकती है, जिसमें बलगम और कभी-कभी रक्त भी आ सकता है।
  7. वायुमार्ग में रुकावट: अगर किसी वस्तु, जैसे भोजन का टुकड़ा या कोई छोटा खिलौना, वायुमार्ग में फंस जाए, तो यह खांसी का कारण बन सकता है।

खांसी का उपचार

खांसी का उपचार उसके कारण पर निर्भर करता है:

  1. घर के उपाय:
  • गर्म पानी में शहद और नींबू मिलाकर पीने से गले की खराश और सूखी खांसी में राहत मिलती है।
  • नमक के पानी से गरारे करने से गले की सूजन और जलन कम होती है।
  • अदरक की चाय या तुलसी की चाय का सेवन भी खांसी में राहत प्रदान कर सकता है।
  1. दवाइयाँ:
  • सूखी खांसी: एंटीहिस्टामिन्स, डीकंजेस्टेंट्स, और खांसी के सिरप जैसे दवाएं उपयोग की जा सकती हैं।
  • गीली खांसी: कफ सिरप या एक्सपेक्टोरेंट्स (बलगम पतला करने वाली दवाएं) का उपयोग किया जा सकता है।
  1. जीवनशैली में बदलाव:
  • धूम्रपान बंद करना और प्रदूषण से बचाव करना महत्वपूर्ण है।
  • अपने घर में नमी बनाए रखना और प्रदूषण को कम करने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना भी फायदेमंद हो सकता है।
  1. चिकित्सकीय उपचार:
  • यदि खांसी किसी गंभीर संक्रमण, जैसे निमोनिया या अस्थमा के कारण है, तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार एंटीबायोटिक्स, इनहेलर्स, या अन्य उपचार किए जाते हैं।

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

यदि खांसी तीन हफ्तों से अधिक समय तक बनी रहती है, या खांसी के साथ निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:

  • साँस लेने में कठिनाई
  • खांसी के साथ खून आना
  • अत्यधिक बुखार
  • वजन में अचानक कमी

खांसी एक सामान्य लक्षण है, लेकिन यदि यह लंबे समय तक बनी रहे या इसके साथ गंभीर लक्षण दिखाई दें, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

खांसी के उपचार

काली खांसी में वफारा देना बहुत फायदेमंद होता है। एक बड़े बर्तन में पानी उबालें, उसमें जैतून के तेल की कुछ बूंदें डालें और रोगी को भाप लेने को कहें। काली खांसी के बैक्टीरिया जो नाम और मुंह में छिपे होते हैं, वे जल्द ही नष्ट हो जाएंगे। मोर के पंख के चन्द्राकार पंख को जलाकर (राख बनाकर, उसमें भुना सुहागा मिलाकर शहद के साथ चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है।

सर्पगंधा के चूर्ण को एक ग्राम शहद के साथ दिन में तीन बार रोगी को चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है। लौंग को तवे पर भूनकर और बेकिंग पाउडर को शहद के साथ चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है।

आधा रत्ती अभ्रक भस्म, साठी भस्म तथा एक मिलीग्राम शुद्ध टंकी को खरब के साथ पीसकर शहद के साथ दिन में तीन-चार बार चाटने से काली खांसी शीघ्र ठीक हो जाती है। प्रवाल भस्म और श्वास रस को आधा रत्ती मिलाकर, अदरक का रस और शहद मिलाकर चाटने से काली खांसी में आराम मिलता है।

छोटी करेले का काढ़ा बनाकर शहद में मिलाकर पिलाने से काली खांसी ठीक हो जाती है।

सितोपलादि चूर्ण को 2 ग्राम शहद के साथ चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है।

खदिरादि बटी की गोलियां बच्चों को चूसने से दें। कस्तूरी भैरव रस की एक गोली पीसकर दो खुराक बना लें। एक मात्रा सुबह और एक मात्रा शाम को अदरक या पान के रस में शहद मिलाकर देने से काली खांसी ठीक हो जाती है। कफकेतु रस आधा रत्ती की मात्रा में अदरक के रस के साथ सुबह और शाम थोड़ा शहद मिलाकर लेने से खांसी के साथ-साथ श्वास रोग भी ठीक हो जाता है।

गोंदती भस्म आधा ग्राम को बांस के रस और शहद में मिलाकर दिन में दो-तीन बार सेवन करने से काली खांसी का प्रवाह शांत रहता है। रात को सोते समय रोगी की छाती और पीठ पर संध्या तेल लगाने से खांसी का प्रकोप कम हो जाता है। कस्तूरी भैरव रस की एक गोली पीसकर दो खुराक बना लें और उसमें अदरक का रस और शहद मिलाकर सुबह और शाम चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है।

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