अनन्नास खाने के फायदे

अनन्नास खाने के फायदे



अनन्नास के मूल में से फूटनेवाले पीले अंकुरों का आरोपण करने अथवा उसके फल के शीर्षस्थान पर अवस्थित गुच्छे को काटकर क्यारी में बोने से इसके पौधे का जल्दी विस्तार होता है।

इस प्रकार रोपने से ही इसके नये पौधे तैयार होते हैं। इसके सिवा, इसके बीज नहीं उगते। इसका आरोपण करने के बाद एक-दो वर्ष में उस पर फल लगते हैं और उसे अन्य पीले अंकुर फूटने पर इर्द-गिर्द की पूरी जमीन अनन्नास के पौधों से भर जाती है।

कोंकण की गर्म और नमीवाली हवा इसे अधिक अनुकूल रहती है। इसके पौधों को छाया पसंद है, अतः किसी स्थान पर इसे स्वतंत्र रूप से उगाया नहीं जाता, बल्कि नारियल, सुपारी या आम के बगीचे में इसे लगाते हैं। इसके पौधे खुली धूप में अच्छे नहीं होते।

इस तरह अनन्नास के पत्ते अनेक काम में आते हैं। ये पत्ते भी फल के समान ही गुणकारी और उपयोगी हैं।

पका अनन्नास स्वादिष्ट (खटमीठा), मूत्रल, कृमिघ्न और पित्तशामक है। यइ रसविकार तथा सूर्य की गर्मी से उत्पन्न होनेवाले दोषों को दूर करता है। यह लू लगने तथा इसी प्रकार के गर्मी के अन्य विकारों को दूर करता है। अनन्नास का फल कृमि का नाश करता है। पेट में यदि बाल चला गया हो तो यह उससे होनेवाली पीड़ा को दूर करता है। इसके अलावा अनन्नास उदरव्याधि, प्लीहावृद्धि, पांडुरोग, पीलिया आदि को मिटाता है।

कच्चा अनन्नास रुचिकर, हृद्य, गुरु, कफपित्तकारक, ग्लानिनाशक एवं श्रमनाशक है।

पके अनन्नास के ऊपर का छिलका और बीच का सख्त हिस्सा निकाल दें। फिर फल के छोटे-छोटे टुकड़े करके उन्हें एक दिन चूने के पानी में रखें। दूसरे दिन उन्हें चूने के पानी में से बाहर निकालकर सुखा दें। फिर चीनी की एकतारी चासनी बनाकर अनन्नास के टुकड़ों को उसमें डाल दें। इसके बाद नीचे उतार लें और ठंडा होने पर उसमें थोड़ी इलायची पीसकर तथा थोड़ा गुलाब जल डालकर मुरब्बा बनाएँ। यह मुरब्बा पित्त (गर्मी) का शमन करता है और मन को प्रसन्न करता है।

पके अनन्नास के छोटे-छोटे टुकड़े कर, उन्हें कुचलकर रस निकालें। इस रस से दुगुनी चीनी लेकर उसकी चासनी बनाएँ। अनन्नास का रस उसमें डालकर शरबत बनाएँ। यह शरबत पित्त (गर्मी) का शमन करता है, हृदय को बल प्रदान करता है और चित्त को प्रसन्न करता है।

अनन्नास के फल का रस शहद के साथ लेने से पसीना निकलता है और बुखार उतर जाता है।
अनन्नास खाने से पित्त शांत होता है। पित्त से परेशान रोगियों के लिए इसका सेवन उत्तम है।

अनन्नास के टुकड़ों पर काली मिर्च और शक्कर छिड़ककर खाने से अम्लपित्त मिटता है।

पके अनन्नास के छोटे-छोटे टुकड़े कर, उन पर काली मिर्च और सेंधा नमक की बुकनी छिड़ककर खाने से अजीर्ण मिटता है।

पके अनन्नास के छोटे-छोटे टुकड़े कर, उस पर पीपर का चूर्ण छिड़ककर खाने से बहुमूत्र का रोग मिटता है।

पके अनन्नास का छिलका और उसके भीतर का अंश निकालकर, बाकी हिस्से का रस निकालिए। इसमें जीरा, जायफल पीपर, काला नमक तथा थोड़ा-सा अंबर डालकर पीने से बहुमूत्र का रोग मिटता है।

अनन्नास का रस पीने से कंठरोहिणी (डिफ्थेरिया) में फायदा होता है, यह आयुर्वेदाचार्य पंडित चतुरसेन शास्त्री का अनुभव है।

जिसके पेट में कृमि हो गये हों उसे अनन्नास खिलाने से एक सप्ताह में ही कृमि का पानी हो जाता है। अतः बच्चों के लिए अनन्नास उत्तम फल है।

अनन्नास खाली पेट न खाएँ। खाली पेट खाने से यह विष के समान हानि करता है। सगर्भा के लिए भी यह हितकारी नहीं है। ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करने से यह गर्भपातक सिद्ध होता है। अनन्नास के फल के बीच का सख्त हिस्सा निकाल देना चाहिए, क्योंकि वह हानिकारक होता है। फिर भी यदि यह खाने में आ जाए तो उस पर प्याज, दही और शक्कर खा लें। उपरांत, अनन्नास कंठनलिका व श्वासनलिका को नुकसान करता है। चीनी और सौंफ का मुरब्बा लेने से उसकी शांति होती है। वैज्ञानिक मत के अनुसार अनन्नास का फल रोचक, पाचक, वायु को सीधी गति देनेवाला तथा गर्भाशय के लिए उत्तेजक है।