फालसे खाने के फायदे

फालसे खाने के फायदे

फालसे श्रेष्ठ टॉनिक-उत्तम पौष्टिक माने जाते हैं ।
ये दो-दो या तीन-तीन के समूह में लगते हैं। फालसे कच्चे होने पर हरे रंग के और कषाय रसवाले, अर्ध पक्वावस्था में रक्ताभ और खट्टे तथा पकने पर जामुनी रंग के या बैंगन सदृश वर्ण के और खट-मीठे होते हैं। पके फालसे खाये जाते हैं।

ये बहुत मीठे और स्वादिष्ट लगते हैं। गर्मी के दिनों में इसका शरबत बनाकर पीते हैं।
ग्रीष्म की गर्म ऋतु में आबाल-वृद्ध सभी के लिए फालसों का सेवन हितकारी है। फालसे शरीर को नीरोगी और हृष्टपुष्ट बनाते हैं। छोटे बच्चों का तो यह प्रिय नाश्ता है।

पके फालसे पाक में मधुर, शीतल, मल को रोकनेवाले, पौष्टिक और
हृद्य हैं। ये पित्त, दाह, रक्तविकार, ज्वर, क्षय और वायु का नाश करते हैं।

कच्चे फालसे कसैले, खट्टे, पित्तकारक, लघु, वायुनाशक एवं पित्त और कफ का प्रकोप करते हैं।

पाँच सौ ग्राम पके फालसों को आधे लीटर पानी में तीन-चार घंटे भिगोकर रखिए। फिर मसलकर कपड़े से छान लें। उसमें पाँच सौ ग्राम चीनी डालकर उबालिए और शरबत बनाकर बोतल में भर लीजिए। इस शरबत में आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर गर्मियों में पीने से ठंडक देता है, रुचि उत्पन्न करता है और लू मिटाता है। यह शरबत उत्तम टॉनिक भी है।

पके फालसों के रस में पानी मिलाकर पीने से तृषारोग दूर होता है। पके फालसे शक्कर के साथ खाने से दाह मिटता है और तृषारोग शांत होता है।

पके फालसे के रस में पानी मिलाकर, उसमें शक्कर और थोड़ी-सी सोंठ की बुकनी डालकर, शरबत बनाकर, पीने से पित्तविकार (पित्तप्रकोप) मिटता है। यह शरबत हृदयरोग के लिए भी हितकारी है।

पके फालसे खाने से शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है। हृदयरोग और रक्तपित्त में भी यह अत्यंत लाभदायक है।

फालसे कफ-निःसारक होने से हिचकी और श्वासरोग में लाभ देते हैं।

फालसे की छाल के कुल्ले करने से गले के रोगों में फायदा होता है। फालसे की छाल का क्वाथ पीने से मूत्रकृच्छ्र, मूत्रदाह और प्रमेह मिटते हैं।

फालसा-वृक्ष की छाल का क्वाथ पीने से आमवात मिलता है। पके फालसे खाने से धातु की दुर्बलता दूर होती है।

कच्चे फालसों का सेवन करने से अग्निमांद्य, अतिसार, प्रवाहिका आदि रोग मिटते हैं।

फालसा-वृक्ष के मूल को स्त्री की नाभि, बस्ति व योनि-भाग पर लेप करने से मूढ़ गर्भ या मृत गर्भ बाहर निकल जाता है।
फालसा-वृक्ष की छाल का लेप करने से शारीरिक पीड़ा दूर होती है। इसका लेप आमवात में भी लाभ करता है।

फालसे के पत्तों तथा कोमल कलियों का लेप करने से स्फोटक फुन्सियों का शमन होता है। और पीव दूर होता है।

वैज्ञानिक मत के अनुसार फालसे उत्तम टॉनिक हैं। फालसे केरोटीन ‘सी’ और विटामिन से भरपूर हैं।