पिस्ते खाने के फायदे और नुकसान

पिस्ते खाने के फायदे और नुकसान

पिस्तों का उपयोग सूखे मेवे के रूप में होता है। इसका पेड़ बहुत बड़ा होता है। यह पर्शिया, बुखारा और अरबस्तान आदि के जंगलों में होता है। छाल सहित फल को बोने से इसका पौधा तैयार होता है। इसके वृक्ष पर चने के बूटों के सदृश फल लगते हैं। फल के ऊपर पतली-गाड़ी छाल होती है। फल के भीतरवाले गर्भ का रंग हरा होता है और उस पर लाल विंदियाँ होती हैं। इसे ‘पिस्ता’ कहते हैं।

बादाम, पिस्ते, चिरौंजी आदि की गिनती सूखे मेवों में होती है। ये तीनों चीजें उपयोगी हैं। अतएव सभी प्रकार के पाक, लड्डू वगैरह में ये डाली जाती हैं। पिस्ते मिठाई में भी डालते हैं। खाने में ये मधुर-स्वादिष्ट लगते हैं। ये बलप्रद एवं पौष्टिक हैं। पिस्तों में से तेल निकलता है। इस तेल का सिर में मालिश करने से मस्तिष्क के पित्त का शमन होता है। उपरांत, रेशम पर किरमिजी रंग चढ़ाने में भी इस तेल का उपयोग होता है।

पिस्ते गुरु (भारी), स्निग्ध, उष्ण, वृष्प, स्वादु, वीर्यवर्धक, रक्त को शुद्ध करनेवाले, बलकर, पित्तकर, भेदक, कटु और सारक हैं। ये कफ, वायु, गुल्म तथा त्रिदोष के नाशक हैं।

पिस्ते, बादाम की गिरी, चिरौंजी और खसखस इन चारों को बारीक पीसकर, दूध में उबालकर खीर बनाइए। इसमें शक्कर और गाय का घी मिलाकर सेवन करने से मस्तिष्क पुष्ट होता है। और मस्तिष्क की अशक्ति-दुर्बलता दूर होती है।