बादाम खाने के फायदे और नुकसान

बादाम खाने के फायदे और नुकसान


बादाम का उपयोग सूखे मेवे के रूप में होता है। इसे बाग-बगीचों में बोया जाता है। इसके पेड़ बहुत बड़े होते हैं। इसके पत्ते कायफल के समान, पर उससे कुछ छोटे होते हैं। ये पत्ते कटाववाले या कटावरहित, भाले के आकार के होते हैं। इसके फूल गुलाबी आभावाले सफेद रंग के होते हैं। फल सामान्यतः रोंयेदार होते हैं।

भारत में देशी बादाम बोया जाता है। इसके पेड़ ज्यादा ऊँचे और सुंदर होते हैं। पेड़ की ऊँचाई लगभग चालीस से अस्सी फीट और पत्ते छः से आठ इंच तक चौड़े होते हैं। कश्मीर सदृश ठंडे प्रदेशों में बादाम अच्छा होता है। भारत के अलावा मस्कत, आराकान, ईरान, मक्का, मदीना और सिराज आदि स्थानों में भी बादाम अच्छा होता है। इसके फल की गुठली को भी बादाम कहते हैं।


सूखे मेवे में पोषक तत्त्व बहुत अधिक मात्रा में होते हैं। परंतु ये खूब महँगे होने से सामान्य लोग इनका उपयोग नहीं कर सकते। सामान्यतः बादाम श्रीमंतों के लिए ही प्रतिदिन खाने की चीज है।

बादाम मुख्यतः दो किस्म के होते हैं-कड़वा और मीठा। बादाम की एक जंगली किस्म भी होती है। उसके फल में सारक गुण होता है।

मीठा बादाम शीतल और पौष्टिक है और उसका उपयोग खाने में होता है। कड़वा बादाम स्वाद में अत्यंत कटु होता है। बादामों का उपयोग चख-चख कर करना जरूरी है। कड़वे बादाम के तेल का उपयोग मलहम आदि बनाने में होता है। भारत के देशी बादामों की अपेक्षा अरबस्तानी बादाम अधिक पौष्टिक व स्नेहन है। वात, पित्त और कफ इन तीनों दोषों में बादाम का उपयोग होता है। यह मस्तिष्क तथा आँखों को पुष्टि देता है। मस्तिष्क की दुर्बलता के लिए बादाम श्रेष्ठ है। यह स्मरणशक्ति भी बढ़ाता है। आँखों के धुँधलेपन के लिए बादाम में घी-शक्कर का खमीर उठाकर खाने का रिवाज है। सर्दियों के पाकों में मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाने के लिए बादाम विशेष रूप से डाला जाता है। क्षयरोग में बादाम खाने व उसका तेल छाती पर मालिश करने के काम आता है। कॉडलिवर की तरह बादाम का तेल क्षयरोग में लाभ करता है।
बादाम का फल आँख के आकारवाला और वायुनाशक होने से इसके क्रमशः ‘नेत्रोपमफल’ और ‘वातवैरी’ नाम पड़े हैं।

बादाम की खीर : बादाम रात को गर्म पानी में भिगोकर रख दीजिए। प्रातः छिलके निकालकर, बारीक पीसकर दूध में मिला दें। फिर उसे उबालकर खीर बनाई जाती है। (इस खीर को ज्यादा न उबालें, अन्यथा पाचक द्रव्य नष्ट हो जाते हैं।) बादाम की खीर पाचक और उत्तेजक है। मस्तिष्क की दुर्बलता, मस्तिष्क-शूल और सिरदर्द में यह खीर अत्यंत हितकर है। बादाम की खीर की मात्रा दो से चार तोला है।

बादाम गर्म, स्निग्ध, वायुनाशक, वीर्यवर्धक और भारी है। बादाम का गर्भ मधुर, वीर्यवर्धक, पित्त तथा वायु को मिटानेवाला, स्निग्ध और उष्ण है। यह कफ करता है।

बादाम के गोले (गरी) चालीस तोला, मावा दस तोला, चीनी साठ तोला, घी बीस तोला, बिहीदाने चार तोला, कमलगट्टे के बीज की गरी दो तोला; छोटे इलायची-दाने, दारचीनी, तमालपत्र और नागकेसर एक-एक तोला; लौंग, बाँसकपूर; जायफल, जावित्री और केसर आधा-आधा तोला लें। बादाम के गोले गर्म पानी में एक घंटा भिगोकर रखें। फिर उसके छिलके निकालकर बारीक पीस डालें। पीसे हुए बादाम के गोलों व मावे को अलग-अलग घी में सेंकिए। शक्कर की चासनी बनाकर उसमें उपर्युक्त चीजों का चूर्ण बनाकर मिलाइए। फिर उसमें बादाम और मावा मिलाकर चार-चार तोले के लड्डू बनाइए। प्रतिदिन एक-एक लड्डू खाकर, ऊपर से दूध पीने से बहुत लाभ होता है और बुखार के बाद की दुर्बलता दूर होती है। सर्दियों के ठंडे मौसम में ये लड्डू बहुत ही लाभप्रद

हैं। बादाम के गोलों (गरी) को गर्म पानी में भिगो दें। फिर छिलके निकालकर बारीक पीस लें। इसे दूध में मिलाकर उबालें और खीर बनाएँ। उसमें शक्कर और घी मिलाकर खाने से बल और वीर्य की वृद्धि होती है। खाली मस्तिष्क की पूर्ति होती है तथा मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है। बादाम के गोलों (गरी) को गर्म पानी में भिगोकर उनके छिलके निकाल लें। इसे तथा अश्वगंधा और पीपर को बराबर-बराबर लेकर बारीक पीसें और दूध में उबालकर खीर बनाएँ। उसमें घी और शक्कर मिलाएँ। इसे फीके मुँहवाली और कमर-दर्दवाली प्रदर रोगी स्त्रियों को खिलाने से खूब लाभ होता है। इसके सेवन से प्रदर मिटता है और स्त्रियों का स्तन्य (दूध) बढ़ता है।

बादाम और कपूर दूध में पीसकर मस्तक पर उसका लेप करने से मस्तक-शूल और सिरदर्द मिटता है। मस्तक पर बादाम के तेल की मालिश करने से भी मस्तिष्क शांत होता है।

भिलावाँ फूट निकला हो तो बादाम पीसकर लगाने से आराम होता है।

बादाम-फल का कवच जलाकर, कोयला बनाकर, उसकी बुकनी दस तोला लीजिए। इसमें भाजूफल, छोटे इलायची दाने, फुलाई हुई फिटकरी और कपूर का एक-एक तोला चूर्ण मिलाइए। इसके खरल में बारीक पीसकर दंतमंजन बनाइए। यह दंतमंजन दाँतों पर घिसने से दाँत स्वच्छ होते हैं तथा दाँतों के मसूड़े मजबूत बनते हैं।

कड़वे बादाम में एक विशेष प्रकार का प्रबल विष होता है। अर्थात, कड़वा बादाम अति जहरीला है। अतः इसका खाने में उपयोग न किया जाए, इसका ख्याल रखिए। रक्तपित्त के विकारवालों के लिए भी बादाम हितकर नहीं है।