यकृत विकार : कारण व उपचार

यकृत के विकार हेतु उपचार

  • जामुन के मौसम में 200.300 ग्राम बढ़िया और पके हुए जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से जिगर की खराबी शुरू हो जाती है।
  • छाछ एक गिलास में एक चुटकी (आधा ग्राम) काली मिर्च मिलाकर एक सप्ताह लगातार लेने से पाण्डु रोग नष्ट होता हैं।
  • पुराना गुड़ डेढ़ ग्राम और बड़ा (पीली) हरड़ छिलके का चूर्ण दो बार प्रातः सायं हल्के गर्म पानी के साथ एक महीने तक लें। इससे यकृत प्लीहा यदि दोनों ही बढ़े हुए हों, तो भी ठीक हो जाते हैं।
  • एक सौ ग्राम पानी मे आधा नींबू निचोड़कर नमक डालें और इसे दिन में तीन बार पीने से जिगर की खराबी ठीक होगी। सात से इक्कीस दिन लें।
  • आंवले का रस 25 ग्राम या सूखे आंवलों का चूर्ण चार ग्राम पानी के साथ, दिन में तीन बार सेवन करने से 15-20 दिन में यकृत के सारे दोष दूर हो जाते हैं
  • जिगर के रोगों में छाछ (हींग का बधार देकर, जीरा, कालीमिर्च और नमक मिलाकर) दोपहर के भोजन के बाद सेवन करना बहुत लाभप्रद है।
  • एक कागजी नींबू (अच्छा पका हुआ) लेकर उसके दो टुकड़े कर लें। फिर बीज निकालकर आधे नींबू के बिना काटे चार भाग करें, पर टुकड़े अलग-अलग न हों, तत्पश्चात् एक भाग में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे में काला अथवा सेंधा नमक, तीसरे में सोंठ का चूर्ण, दूसरे में काला अथवा सेंधा नमक, तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण या शक्कर या चीनी भर दें। रात को प्लेट में रखकर ढक दें। प्रातः भोजन करने के एक घंटे पहले इस नींबू को फांक को मन्दी आंच या तवे पर गर्म करके चूस लें। इसे रात दिन से इक्कीस दिन तक लें।

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