आज हम इसे पर चर्चा करेंगे कीसिर एवं मानसिक रोग से छुटकारा कैसे पाएसिरदर्द, ये शब्द सुनते ही हम पिछली बार के सिरदर्द की यादों में चले जाते हैं। दर्द जो हल्का-हल्का शुरू होता है और धीरे-धीरे थोड़ा बढ़ जाता है और कभी-कभी असहनीय भी हो जाता है। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि दवाईयाँ लेने के बावजूद भी हमको सिर के दर्द से राहत नहीं मिलती।
सिर एवं मानसिक रोग (Head and mental diseases)

सिर एवं मानसिक रोग से छुटकारा कैसे पाए
1. शिशु व बच्चों की प्रकृति (Nature of infants and children)
शिशु/ बच्चों की प्रकृति जैसे आलसी होना, देर से बोलना, हिचकना, चिड़चिड़ा होना, भूख अधिक लगना, अधिक पसीना आना, अपरिचित से बात न करना, हमेशा डरा रहना अनेक ऐसे रोगो का निवारण होम्योपेथिक दवा द्वारा ही हो सकता है। शिशु की छाती सूज जाए जिसका कारण छाती में दूध इकट्ठा होना हो या कोई अन्य पदार्थ, ऐसी अवस्था में शिशु के सूजे भाग को मीठे तेल से भींगे कपड़े से ढक दें।
यदि फायदा न हो तो छाती को पानी में थोड़ी ब्रांडी मिलाकर धो दें और कैमोमिला 6 की 2-3 मात्रा दें या बेलाडोना 6 की 2-3 मात्रा दें। अगर बच्चा देर से बोले ऐसे में नैट्रम म्यूर 6 एक्स की 2-3 मात्रा दें ।
अगर बच्चा देर से चले तो कैल्केरिया कार्ब 30 की दो मात्रा दें।
जब बच्चे के चलने और बोलने में भी देर लगे तो आयोडियम 30 की दो मात्रा दें। बच्चा आलसी हो और कोई काम न करना चाहे तो बेराइटा कार्ब 30 की दो मात्रा दें। बच्चे के चाक या मिट्टी खाने की आदत पर एल्यूमिना 30 की दो मात्रा दें।
बच्चों की नाभि से खून बहने पर एब्रोटेनम 6 की 2-3 मात्रा देने से आराम
होता है। बच्चों का विकास देर से होता है। स्वास्थ्य खराब रहता है। देखने में कमजोर व चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं। सेनिकुला 30 की दो मात्रा दें ।
बच्चों का सिर बड़ा। भूख अधिक व खाना खाने के बाद भी कमजोर देखने सूखा-सूखा सा लगे । त्वचा में झुर्रियाँ पड़ जाती हैं। सल्फर 30 की दो मात्रा दें। बच्चा चिड़चिड़े स्वभाव का और असंतुष्ट प्रकृति का । दाँत निकलने में में कठिनाई। अचानक चिल्लाता है। दस्त का रंग घास के समान हरा उसका एक गाल लाल व दूसरा हरा पीला। सोने से परेशानी बढ़ती है। कैमोमिला 6 की 2-3 मात्रा दें।
बच्चा चिड़चिड़े स्वभाव का किसी भी प्रकार से संतुष्ट नहीं रहता, छूना भी बर्दाशत नहीं कर सकता। पैदाइश के समय कोई चोट लगने के कारण आर्निका 30 की दो मात्रा दें।
अधिक भूख लगना, पतला पाखाना भी बड़ी कठिनाई से आए पसीना कमआए। चलने, बोलने व दाँत निकलने में देरी पसीना अगर आए तो ठण्डा आए।
सिर व पेट बड़ा और पतले दस्त बने रहते हैं एल्युमिना 30 की दो मात्रा दें।
बच्चों के हाथ पैर कमजोर (विशेषकर जाँघ की हड्डियाँ) नेट्रम म्यूर 30 की दो
मात्रा दें।
बच्चा अपरिचित व्यक्ति द्वारा छूने या उसकी तरफ देखने से रोने लगता है एण्टिमोनियम कूडम 6 की 2-3 मात्रा दें बच्चे जिनमें ठण्डा पसीना विशेषकर सिर में व रात में ज्यादा आए। कैल्के कार्ब, 200 एक मात्रा या साइलीशिया 200 एक मात्रा दें।
रात में पसीना ज्यादा। साइलीशिया 30 की दो मात्रा दें। (सिर बड़ा, पेट सख्त व बड़ा ) मैग कार्ब 30 या इथूजा 30 की दो मात्रा दें । बच्चों के हाथ पैर ठण्डे व ठण्ड से कष्ट में वृद्धि नैट्रम कार्ब 6 की 2-3 मात्रा दें।
बच्चे जल्दी बढ़ते हैं, रंग पीला, खून की कमी, ठण्ड जल्दी लगती है, जरा-सी चोट लगने से खून निकलने लगता है, ठण्डी चीज खाना पसंद करते हैं। फॉसफोरस 30 की एक मात्रा दें ।
बच्चे को 11 बजे भूख लगती है। सिर गरम और पैर ठण्डे । उठते ही रोता है। पेय पदार्थ अधिक लेता है और खाना कम खाता है। चिकनी चीजें अधिक खाता है।

हमेशा थका-थका रहता है। होठ लाल, मल में बदबू, कभी दस्त और कभी कब्ज, नहाना पंसद नहीं करता। नहाने के बाद बुरा महसूस करता है। खाने के पश्चात भी कमजोरी रहती है। सल्फर 200 की एक मात्रा सुबह दें।
पसीना कम, ठण्डे नम पैर, दूध पसंद नहीं करता। सिर बहुत बड़ा साथ में बड़ा और कड़क पेट। पेट और पैरों पर सूजन। देर से दाँत आना। खट्टा पसीना, मल, और उलटी। सफेद मल, बच्चा आसानी से डर जाता है। कैल्के कार्ब 30 की दो मात्रा दें।
लम्बा बच्चा, जल्दी बढ़ने वाला, रक्त स्वल्पता, हमेशा डरा-डरा सा रहने वाला। अँधेरे से या अकेले रहने पर डरता है, बर्फ का ठण्डा पानी पीना चाहता है, नमक व नमकीन खाने की ज्यादा इच्छा। फॉसफोरस 30 की एक मात्रा दें। बच्चा सदैव शव की तरह पड़ा रहता है। बूढ़े-सा दिखता है। चेहरा पीला और कमजोर। मीठा पसंद करता है। दवा लेने से दस्त लग जाते हैं। अर्जेटम नाइट्रिकम 30 की दो मात्रा दें।
बच्चा कमजोर, सिर बड़ा व शरीर छोटा, चेहरा पीला, चिकना, बूढ़े की तरह • दिखना, हड्डियाँ व मांसपेशियाँ धीरे-धीरे बढ़ते हैं। जिनके कारण बच्चा देर से चलता है। साइलीशिया 30 की दो मात्रा दें।
बच्चा ज्यादा खाता है फिर भी पतला ही रहता है। चेहरा पतला, पीला व चिकना जैसे कि ग्रीस लगा दिया हो। त्वचा सूखी, मुरझायी हुई। बच्चा छोटा और बूढ़े आदमी सा दिखाई देता है। नमक ज्यादा खाता है और ब्रेड व वसा युक्त भोजन से नफरत करता है, जल्दी से रोने लगता है। नैट्रम म्यूर 6 की 2-3 मात्रा दें ।
बच्चा अधिक उत्तेजित रहे, रात को सो ना सके और कभी एकदम खुश। कॉफिया 6 की 2-3 मात्रा दें।
ऐसे बच्चे जो देखने में पीले, पतले, जिन्हें सदैव ठण्ड लगे, हाथ पैर ठण्डे रहें, जो अधिकतर दिन में सोते रहते हैं और जिनकी नाक बहती रहे उनको फेरम मेट 30 की दो मात्रा दें।
बच्चे जो अधिक पेय पदार्थ पिए, अधिक पसीना आए, जिनका चेहरा लाल और थुलथुले शरीर के हों। कैल्केरिया कार्ब 200 की एक मात्रा दें बच्चा चिड़चिड़ा जल्दी क्रोधित होने वाला। फोड़े फुन्सियाँ अधिक हों। हड्डियाँ कमजोर, त्वचा खुरदरी व सूखी हुई। अधिक भूख लगने पर भी कमजोरी बढ़ती जाए, प्यास तेज, शरीर पर झुर्रियाँ पड़ जाएँ। बच्चा वृद्ध व्यक्ति की तरह दिखाई दे। सल्फर 200 की एक मात्रा सुबह दें।
गले की ग्रन्थियाँ सूज जाएँ या फूल कर पक जाएँ। रोगी को सर्दी अधिक लगे, मां-बाप में उपदंश रोग की प्रवृत्ति पायी जाए। सिस्टस केन 30 की दो मात्रा दें। सिर के आसपास चिकना व बदबूदार पसीना । ग्रन्थियाँ सूजी हुई जिनमें मवाद बहे, दाँत पूरे ना निकले हों, त्वचा ठण्डी । मर्क्युरियस 30 की दो मात्रा दें।
बच्चे की ग्रन्थियाँ सूज कर फट जाएँ, नासूर की भाँति इनसे मवाद निकलता रहे। साइलीशिया 200 की एक मात्रा सप्ताह में दो बार दें। जब रोग की प्रवृत्ति क्षय रोग की ओर बढ़ने लगे। ट्यूबरकुलीनम 200 की एक मात्रा दें और कैल्केरिया फॉस 30 की दो मात्रा दें।
जब रोग की प्रवृत्ति क्षय रोग की ओर हो। चक्कर आए, धीमा-धीमा सिर दर्द, हृदय भाग में विशेष पीड़ा। आवाज व शोरगुल से बच्चे को अधिक पीड़ा। थेरिडीयन 30 की दो मात्रा दें।
2. शिशु के ब्रह्म तालु का न भरना (Open sucher of skull)
पैदा होने के बाद यदि बच्चे का ब्रह्म तालु न भरे (आठ महीने के भीतर) तो सल्फर 30 की एक खुराक देनी चाहिए और एक सप्ताह तक फायदा न हो तो केल्के कार्य 30 की एक मात्रा देनी चाहिए।
3. शिशु का बराबार चिल्लाना जिसका कोई कारण ना हो (Continual crying of child without any cause)
शिशु नींद से एकाएक जाग उठता है और जोर से बराबर चिल्लाता रहता है बेलाडोना-3 की तीन मात्रा दिन में दें। शिशु बेचैन रहता है उसका शरीर गर्म रहता है और बरावर चिल्लाता रहता है। कोफिया-6 दिन में तीन मात्रा दें। शिशु के चिल्लाने का कारण अगर कोई दर्द जैसे कान में दर्द, शिशु बार-बार हाथ कान की ओर ले जाता है या सिर दर्द होने पर केमोमिला -12 की तीन मात्रा दें।

4. बच्चे को बेचैनी व नींद ना आना (Restlessness and wakefulness)
बच्चे के सिर में खून की अधिकता या खून इकट्ठा होने पर, बच्चे की माँ या बच्चे का अनुचित खान-पान, पेट में कृमि आदि के कारणों से बच्चों को बेचैनी व नींद नहीं आती है। बच्चे का सिर गर्म, बराबर रोते रहना, ऊँघता रहना। वह सो नहीं सकता और नींद में एकाएक चिल्लाकर उठ बैठता है। बेलाडोना-3 दिन में तीन बार दें। बच्चे का बदन बराबर गर्म रहे, रह-रहकर शरीर का फड़कना, चिड़चिड़ा स्वभाव और सदैव गोदी में रहना चाहता है। केमोमिला 6 तीन बार दें।
बच्चा हँसता और खेलता है परन्तु बीच-बीच में बेचैन रहता है। सोने की चेष्टा करता है परन्तु सो नहीं सकता। उसका बदन सदैव गर्म रहता है। कोफीया 6 तीन खुराक दें।
5. शिशु के मस्तिष्क में जल-संचय (Hydrocephalus)
इस रोग में सिर की खोपड़ी में सीरम (पानी) एकत्रित हो जाता है जिसके कारण बच्चे का सिर बड़ा हो जाता है। यह रोग अधिकतर शिशु अवस्था में पैदा हो जाता है। कई बार यह रोग जन्म के साथ ही उत्पन्न हो जाता है। उन बच्चों में जिनकी सिर की हड्डियाँ सूक्ष्म होती हैं और आपस में जुड़ी नहीं होती हैं और रोग से विशेष पीड़ित रहता है।
बच्चों में सिर का आकार धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। सिर का अगला और पिछला भाग उभर आता है। माथा विशेष रूप से बड़ा दिखाई देता है। आँखों में भेंगापन आ जाता है। मानसिक और शारीरिक दुर्बलता पैदा हो जाती है। जिसके कारण लेटे रहना पसंद करता है।
शरीर या किसी अंग में झटके लगना व ऐंठन इसके मुख्य लक्षण हैं। शिशु के पैदा होने से लेकर यह बीमारी एक साल तक कभी भी हो सकती है और आठ से दस वर्ष तक चल सकती है। अन्त में बच्चा मर जाता है। परन्तु समय से उपचार करने से ये बीमारी ठीक भी हो सकती है।
इस बीमारी में बच्चा माँ का दूध मजे से व आसानी से पीता है परन्तु दुबला होता जाता है। धीरे-धीरे उसका सिर बड़ा होता जाता है वह बूढ़ा जैसा दिखाई देने लगता है। और हमेशा लेटे रहना चाहता है साइलीशिया 30 या सल्फर 30 दिन में 2 बार कुछ समय तक देनी चाहिए।
ऊपर लिखे लक्षणों के साथ अगर शिशु का अनजाने में पेशाब बन्द हो जाए और पानी के सिवाय और कुछ न पिए तो हेलिबोरस 3 दिन में तीन बार लम्बे समय तक दें।
बच्चा को बुखार रहता है और बीच-बीच में डर कर चिल्ला उठता है ऐकोनाईट-3 तीन घण्टे के अन्तर से तीन खुराक दें।
बच्चे के पेट में कृमि होने के कारण बेचैनी और नींद न आना। सीना 6x दिन
में तीन बार दें। बच्चे को कब्ज और माँ के कॉफी पीने के कारण बच्चे को बेचैनी व नींद न आना नक्स वोमिका-6 दिन में तीन बार दें।
6. मस्तिष्क झिल्ली का प्रदाह (Meningitis)
बच्चों के सिर में चोट लगने या गिर जाने आदि के कारण बच्चों की मस्तिष्क झिल्ली में प्रदाह हो जाता है। बच्चे को भूख नहीं लगती, सिर भारी रहता है। कै होती रहती है, नाड़ी कमजोर, श्वास का आना-जाना अनियमित । दृष्टि टेढ़ी हो जाती है। शरीर का ताप बढ़ने लगता है। ऐपिस 3 की 2-3 मात्रा कुछ समय तक देनी चाहिए।
बच्चे को चोट लगने पर अगर बच्चा नींद में चिल्ला उठता है। आर्निका 3 की 2-3 मात्रा प्रतिदिन कुछ समय तक देनी चाहिए। इस बीमारी में अगर बच्चे के सिर के पिछले भाग और गर्दन के पीछे अधिक तब हेलेवोरस-3 की 2-3 मात्रा प्रतिदिन कुछ समय तक दें या बेसिलिनम 200 की एक मात्रा दें। जिसे समय-समय पर आवश्यकतानुसार देनी चाहिए।
7. मस्तिष्क में सूजन (Swelling of the brain)
मस्तिष्क में रक्त का संचालन रुकने से और तन्तुओं के भीतर रक्ताणुओं के जमा हो जाने से मस्तिष्क में सूजन हो जाती है। वैसे यह अपने आप कम हो जाती है किन्तु ठीक ना होने की स्थिति में दवा का प्रयोग करना चाहिए। सिर की हड्डी शीघ्र नहीं जुड़ती, वहीं पर नर्म और थुलथुला स्थान अधिक मात्रा
में तरल पदार्थ रहने के कारण फूला रहता है।
रस टॉक्स 6 दिन में तीन बार दी जानी चाहिए। सिर की खोपड़ी जल्दी ना जुड़े तो इस के लिए, केल्के कार्ब 30 की एक मात्रा दिन में तीन बार दी जानी चाहिए। समस्त ग्रन्थियों की सूजन में लेपिस एल्वा 30 दिन में तीन बार दी जानी चाहिए यह उत्तम औषधि है।
8. बच्चों का रोना, चिल्लाना व डर जाना (Fear and crying of child)
बच्चे के डर जाने व चिल्लाने की प्रवृत्ति मस्तिष्क से सम्बन्धित होती है इसलिए जब उसके सिर में खून की अधिकता हो जाए या खून इकट्ठा हो जाए, ठंडी हवा लग जाए, पेट की गड़बड़ी या कृमि हो जाए। शरीर के किसी स्थान में विकार पैदा हो जाए, इन्हीं कारणों से बच्चा चिल्लाता है। जब बच्चा चिल्लाए तो समझ लेना चाहिए कि कोई बीमारी अवश्य है जैसे अगर बच्चा कान पर हाथ रखकर रोता है चिल्लाता है तो समझना चाहिए कि कान में तकलीफ है और अगर पैर सिकोड़े तो, पेट में तकलीफ है।
बच्चा बेचैन रहता है, सो नहीं पाता और हमेशा रोता रहता है। शरीर गरम और सूखा रहता है और अगर डर के कारण यह परेशानी हो जाए एकोनाइट 6 की तीन मात्रा दें। बच्चा बहुत देर तक चिल्लाता है और फिर रुक जाता है और फिर जोर से चिल्लाता है, ऐसा लगता है कि सोना चाहता है पर सो नहीं सकता। नींद से एकदम से उठकर चिल्लाने लगता है। बेलाडोना 6 की तीन मात्रा दें ।
बच्चा रोता है और अधिक बेचैन रहता है। वह चाहता है कि गोदी में उसे लेकर कोई घुमाए। एक गाल लाल रहता है कैमोमिला 12 की 2-3 मात्रा दें। बच्चा चिल्लाता भी है और हँसता भी है, बच्चा जागता रहता है। उसे नींद बिल्कुल नहीं आती है और नींद के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। कॉफिया 30 की दो मात्रा दे।
बच्चे को कब्ज रहता है व पेट में हवा भरी रहती है जिसका कारण उसकी माता का गरिष्ठ भोजन करना है। बच्चा सदैव रोता रहता है और बच्चा बेचैन रहता है। रात तीन चार बजे रोज उसकी आँख खुल जाती है और चाहता है कि उसे लेकर घुमाया जाए। नक्स वोम 30 की तीन मात्रा दें।
बच्चा जरा-सी बात में रो पड़े। कास्टिकम 30 की दो मात्रा दें। सोने के बाद बच्चा एकदम डरा हुआ उठे, उठते ही चीखे और जो भी पास हो उससे चिपट जाए। स्ट्रामोनियम 30 की दो मात्रा दें। बच्चे को बिना किसी कारण के गिर जाने का भय, इसलिए माता से चिपटा रहता है। जेल्सीमियम 6 की 2-3 मात्रा दें।
बच्चा एकाएक आवाज सुनकर डर जाए उसे नीचे उतारते समय भय लगे। सदैच गिर जाने का भय रहता है। इसी कारण वह माता का वस्त्र पकड़े रहता है। बोरेक्स 6 की तीन मात्रा दें।
9. शारीरिक व मानसिक रोग (Physical and mental ailments)
यह सर्वविदित है कि शरीर और मन का एकदम घनिष्ठ सम्बन्ध है। शरीर में बीमारी होने पर मन भी एकदम खराब हो जाता है। अगर मस्तिष्क में कोई रोग हो तो वो शरीर में प्रकट होगा जैसे डर जाने वाले बच्चे रात में चिल्लाकर उठ बैठते हैं या ठीक से सो नहीं पाते। कुछ बच्चों को मीठा अच्छा लगता है। चिड़चिड़े और परेशान स्वभाव के बच्चे बिस्तर में पेशाब करते हैं।
ऐसे रोगों का इलाज कठिन है फिर भी होम्योपेथिक चिकित्सा ऐसे रोगों के लिए कारगर सिद्ध हुई है। सोते-सोते बच्चे की गर्दन मुड़ जाए और वह इधर-उधर न घुमा सके तो एस्कुलस 30 की दो मात्रा दें बच्चा अगर पेट के बल सोये तो मेडोराइनम 30 की दो मात्रा दें।

बच्चा बार-बार चौकें, सोते-सोते चीखे, दाँत पीसे । बेलाडोना 30 की दो दें। बच्चा सोना ही न चाहे उसे गोद में लेकर घुमाना पड़े। कैमोमिला 6 की 2-3 मात्रा मात्रा दें। बच्चा दिन भर मस्त रहे, खेले परन्तु रात भर रोये, चिड़चिड़ा बना रहे। जलपा 12 की दो मात्रा दें।
बच्चा दिनभर रोए, झींके और रात को चैन से सोये । लाइकोपोडियम 30 की दो मात्रा दें शिशु चिल्लाये और नींद नहीं आए, जिसका कोई कारण न हो। कोफिया 6 की 2-3 मात्रा दे देनी चाहिए या ओपियम 6 की तीन मात्रा दें। इनसे नींद भी आ जाती है।
अगर शिशु रात को बहुत चिल्लाए और कारण समझ में न आए तो शिशु के पेट को मुलायम कपड़े से हल्का-हल्का रगड़ें और बेलाडोना 6 की 2-3 मात्रा दें या कोलोसिन्थ 6 की तीन मात्रा दें या नक्स वोम 6 की तीन मात्रा दें।
बच्चे का दिनभर खेलना, रातभर रोना सोरिनम 30 की दो मात्रा दें। या जेलापा 6 की 2-3 मात्रा दें बच्चा चौंक कर घबरा कर उठता है। एल्यूमिना 30 की दो मात्रा दें । मोटे थुलथुले बच्चों को जिनको नींद में सिर पर पसीना आने पर कैल्केरिया कार्ब 30 की दो मात्रा दें।
दुबले पतले बच्चों में नींद में सिर पर पसीना आने पर। साइलीशिया 30 की दो मात्रा दें।बच्चे के मीठा खाने की प्रबल इच्छा रहे और जिनका पेट बाहर ना निकला हो जो सदैव गन्दे रहते हैं। सल्फर 30 की दो मात्रा दें।
धुलथुले बच्चों की श्रेष्ठ दवा है जो बहुत ज्यादा पानी पीते हैं और जिन्हें पसीना अधिक आता है। कैल्के कार्ब 30 की दो मात्रा दें। 30 पेशाब करने वाले बच्चे जो चिड़चिड़े व परेशान स्वभाव के हों। इग्नेशिया की दो मात्रा दें। बिस्तर में पेशाब करने वाले बच्चे जिनके परिवार के लोग क्षय रोग से पीड़ित रहे हों। बेसिलीनम 200 की एक मात्रा दें।
ऐसे बच्चे जिनके बड़े बूढ़े भी पेशाब को रोक सकने में असमर्थ रहे। ओपियम 30 की दो मात्रा दें या कोनियम 30 की दो मात्रा दें ।
बिस्तर में पेशाब करने के रोग के साथ-साथ अगर बच्चे दूसरे अन्य रोगों से भी पीड़ित रहे या चर्म रोग दब जाने से पेशाब का रोग उत्पन्न हो जाए। सोरिनम 200 की एक मात्रा दें ।
बच्चों को नजर लगने पर इग्नेशिया 1 एम की एक खुराक देनी चाहिए। बच्चे का पढ़ाई में मन न लगे और जो याद करे भूल जाए इन लक्षणों में एनाकार्डियम 30 की दो मात्रा दें।
शारीरिक व मानसिक दृष्टि से अगर बच्चा पिछड़ा हुआ है और सदैव टांसिल से पीड़ित रहता है। बैराइटा कार्ब 30 की दो मात्रा दें बच्चे में दिमागी कमजोरी और एकाग्रता न हो। एथूजा 30 की दो मात्रा दें।
बच्चा पढ़ाई के समय सदैव सिर दर्द बतलाए। फॉसफोरिक एसिड 6 की 2-3 मात्रा दें । बच्चा जरा सी भी डाँट-डपट बर्दाश्त नहीं कर सके। मेडोराइनम 30 की दो मात्रा दें या नैट्रम सल्फ 30 की दो मात्रा लक्षणानुसार दें।
बच्चों का चिढ़ना परेशानी का कारण हो । इग्नेशिया 6 की 2-3 मात्रा दें। जिस बालक की जन्म से ही स्नायु शक्तिहीन हो, मस्तिष्क दुर्बल हो गूंगे व बहरे बच्चे जो मूडी हों और नाटे कद के हों व देर से चलनां सीखें। बैराइटा कार्ब 6 की दो मात्रा दें।
टीका लगने के बाद में जब शारीरिक व मानसिक समस्या उत्पन्न हो जाती है। साइलीशिया 200 की दो मात्रा दें । जिन बच्चों में टी.बी. की अनुवांशिकता पाई जाती है उन्हें दी जानी चाहिए।
बेसिलीनम 200 की एक मात्रा । किसी त्वचा रोग के दबने से कोई दूसरी बीमारी हो जाए तब देनी चाहिए। सोरिनियम 200 की एक मात्रा ।
बच्चों को पेट के कीड़ों के कारण रोग हो, जिसमें पेशाब कुछ समय रखने पर दूध के समान हो जाए। सीना 200 की एक मात्रा दें। पेशाब गहरा व जिससे तीव्र बदबू (घोड़े के पेशाब के समान) आती हो। बेंजोइक एसिड 6 की तीन मात्रा दें। बिस्तर में पेशाब करने का रोग टीका लगने के कारण से उत्पन्न हुआ हो तो साइलीशिया 200 की एक मात्रा दें।
10. सिरदर्द (Headache)
सिरदर्द कोई रोग नहीं है यह अन्य अनेक रोग भोगने का परिणाम होता है। सिरदर्द के अनेक कारण होते हैं जैसे सिर में अधिक रक्त संचय, स्नायु मण्डल की गड़बड़ी, रक्त स्वल्पता, वात आदि।
चार वर्ष से कम उम्र वाले बच्चे सिर दर्द की बीमारी को बता नहीं सकते परन्तु लक्षणों से अनुमान लगाया जा सकता है कि बच्चे के सिर में दर्द हैं। जैसे बच्चा कुछ लेटने की इच्छा रखता है और सिर को एक प्रकार साथ कर रखने की कोशिश करता है। बच्चा बेचैन और परेशान दिखता है सिरदर्द और चोट लगने के कारण भी हो सकता है। धूप और गर्मी भी सिरदर्द का कारण हो सकता है।
बच्चे में चोट लग जाने के कारण सिरदर्द व बुखार। आर्निका 30 दिन में दो बार दें।
सिर में टपकन वाला दर्द, सिरदर्द में मुँह लाल, आँखों की पुतलियाँ फैली हुई और उनमें चमक, सोते-सोते चिल्ला उठना । सिर का दर्द ठण्ड लगने के कारण। बेलाडोना 30 की 2-3 मात्रा दें ।
ठण्ड के कारण बच्चा सिरदर्द ऐसा महसूस करे कि उसके सिर को किसी तार ने जकड़ लिया है। बच्चा चुपचाप पड़ा रहता है, बदन में दर्द व रीढ़ की हड्डी में ठण्ड का आभास, गला पका रहता है। जेल्सेमियम 30 दिन में दो बार दें। • सूर्य की रोशनी या गर्मी के कारण सिरदर्द, जिसके कारण बच्चा मूर्छित हो जाता है और अपना सिर सीधा नहीं रख सकता। चेहरा पीला दिखता है। ग्लोनाइन 30 की 2-3 मात्रा दें।
पित्त के कारण उलटी और सिरदर्द। आइरिस वर्क्स 30 दिन में दो बार दें। पेट की गड़बड़ी के कारण सिरदर्द। नक्स वोमिका 30 दिन में दो बार दें। वसा युक्त पदार्थ खाने से सिरदर्द । पल्साटिला 30 दिन में दो बार दें।
मेरुदण्ड व स्नायु मण्डल के रोग (Spinal cord and nervous system ailments)
1. बच्चों में अकड़न व ऐंठन (Cramps and convulsion in children)
बच्चों में स्नायुमण्डल अत्यन्त कोमल होता है साधारण कारणों से यह उत्तेजित हो जाता है। इस उत्तेजना के कारण बच्चों में ऐंठन या अकड़न हो जाती है। दाँत • निकलते समय, कृमि के कारण, पाकस्थली की गड़बड़ी, चोट, भय अथवा साधारण उत्तेजना के कारण ऐंठन हो जाती है। साधारण भाषा में इसे लोग फिट्स (fits) भी कहते हैं।

बच्चों में ऐंठन के साथ बुखार, त्वचा सूखी और गरम, बच्चे में उत्सुकता और बेचैनी, दाँत किटकिटाना और कभी-कभी हिचकी भी रहती है। एकोनाइट 6 की दो मात्रा दें। चोट लगने या गिरने के कारण ऐंठन हो जाय तो आर्निका 200 की एक मात्रा दें।
ऐंठन के साथ-साथ मुँह व आँखें लाल और फैली हुई। सोते समय चौंके, नींद लेने की कोशिश करने पर नींद ना आए, अधिकतर ऐंठन के समय मुँह से झाग निकले। बेलाडोना 30 की तीन मात्रा दें। ऐंठन के समय हाथ पैर फैलाए या मरोड़े एक गाल लाल दिखे, बच्चा चाहे कि उसे इधर-उधर लेकर घुमाया जाए। माथे पर ठण्डा पसीना आए। कैमोमिला 12 की 2-3 मात्रा दें ।
हाथ पैर लाल और उनमें ऐंठन इस प्रकार की परेशानी बच्चों में पेट में कृमि (एस्केरिस) होने से होती हैं, गले में कोई चीज अटकी-सी मालूम होती है। पेशाब दूध के समान सफेद सीना 200 की एक मात्रा दें। मांसपेशियों में ऐंठन व झटके। मुँह से झाग और कम्पन ऐसा लगे कि बच्चा डर गया हो, लेटने से खाँसी बढ़े और बैठने से आराम मिले। हायोसाइमस 30 की दो मात्रा दें।
बच्चा सोते-सोते चौंक पड़े और जोर से चिल्लाए। ऐंठन केवल एक भाग में हो। इस प्रकार की ऐंठन निश्चित समय पर आए। इग्नेशिया 30 की दो मात्रा दें।
सारे शरीर में कम्पन व हाथ पैरों को इधर-उधर फेंकना, बच्चा बेहोश हो जाए और साँस लेने में कठिनाई हो। ओपियम 30 सुबह और शाम दो मात्रा दें। डर के कारण ऐंठन का रोग उत्पन्न हुआ हो। जिसमें बच्चा हाथ पैर फेंके वअचानक ही मल-मूत्र त्याग दे। आँखें भर कर देखे जैसे कि वह किसी चीज से डर रहा हो। रोग का कारण किसी चर्म रोग का दबना भी हो सकता है। स्ट्रामोनियम 30 की दो मात्रा दें।
बच्चे में ऐंठन, हाथ पैर पटके, पसीना आए। रात को चौक कर उठ जाए, काँपने लगे सोते वक्त सुबके व चिल्लाये। दाँतों के निकलते समय बच्चों को उल्टी व उबकाई व साथ-साथ दस्त भी हो, दस्त का रंग बदलता रहे। खाँसी के साथ घड़घड़ाहट। इपिकाक 6 की 2-3 मात्रा दें।
2. शिशु के मेरुमज्जा में जल संचय से विभाजित मेरु (Spinal bifida)
गर्भावस्था में शिशु की मेरु प्रणाली (Spinal cannal) में जल संचय हो जाता है। जिससे रीढ़ की हड्डी में अपूर्णता आ जाती है और वह अलग दिखाई देती है। तुरन्त पैदा हुए शिशु में बीमारी का स्थान अर्बुद (Tumour) की तरह फूल जाता है। केल्केरिया फॉस 3x विचूर्ण देने से हड्डी दोष दूर हो जाता है और एपिस-3 के देने से बाहरी अर्बुद अच्छा हो जाता है। इन दवाइयों को अधिक समय तक देना चाहिए और तब तक देना चाहिए जब तक दोष मुक्त न हो जाए।
आँखें व दृष्टि रोग (Eye and vision diseases)
1. बच्चे की आँख में गुहरी (Stye in eye)
आँख में बार-बार गुहरी निकलती है। निकल कर कड़ी हो जाती है और कभी कभी पक जाती है। चाहे गुहरी नीचे हो या ऊपर वाली पलक पर हो। पल्स 3 या स्टेफिसगेरिया-3 चार-चार घण्टे से चार बार दें। अगर पल्स और स्टेफिसगेरिया से लाभ न हो तो हिपर सल्फ-6 छः-छः घण्टे के अन्तर से तीन बार दें।
अगर किसी धातु विशेष वाले बच्चे की गुहरी किसी प्रकार ठीक न हो तो यूजा 30 अथवा सल्फर 30 का प्रयोग दिन में दो बार करें।
2.बच्चों की आँख में जख्म (Wound in eye)
बिना दर्द के आँख में जख्म काली ग्रीम 30 दिन में तीन बार दें।
“आँख में दर्द के साथ जख्म कोनियम 6 दिन में तीन खुराक चार-चार घ के अन्तर से दें। आँख के पलकों में छोटी-छोटी फुन्सियाँ, प्रदाह और जख्म होने पर “। जैकियो Ix चार घण्टे के अन्तर से दें।
3. आँख में दर्द (Pain in eyes)
आँख में कुचलने जैसा दर्द। आर्निका 3 अथवा जेल्स 3 चार-चार घण्टे के अन्तर से दें। आँख में कौंटा गड़ने का सा दर्द। दूजा 30 या एसिड नाइट्रिक 30 अथवा हिपर सल्फ 6 चार-चार घण्टे के अन्तर से दें।
आँख में सुई चुभने का सा दर्द। नाइट्रिक एसिड 30 दिन में तीन बार दें। आँख में तीर चुभने का सा दर्द। एपिस मेल 6 चार-चार घण्टे से दें। आँख में नोचने फाड़ने का सा दर्द। पल्स 3 अथवा आरम मूर 30 तीन-तीन घण्टे के अन्तर से दें।
आँख में टपकने जैसा दर्द जो सेंकने से बढे। हिपर सल्फ 30 तीन घंटे के अन्तर से दें। आँख में असहनीय दर्द। केमोमिला -12 चार घण्टे के अन्तर से दें। आँख में ठीक एक समय पर होने वाला दर्द। सिड्रान-6 तीन बार दिन में दें। आँख में दर्द एकदम बढ़े व घटे। बेलोडोना-6 चार घण्टे के अन्तर से दें। आँख में दर्द धीरे-धीरे बढ़े व धीरे-धीरे घटे। स्टैनम-6 दिन में तीन बार दें। आँख के चारों और दर्द विशेषकर बाई आँख में। स्पाइजिलिया-3 दिन में तीन बार दें।
आँख में दर्द के बाद उस जगह का सुन्न पड़ जाना। मेजेरियम-30 दिन में तीन बार दें। आँख के बाहर दर्द के फैलने पर ऐसाफोटिडा-3 दिन में तीन बार आँख में अकड़न और दर्द भीतर की ओर। ऐसिड फास 6 दिन में तीन बार दें। आँख में अकड़न और दर्द बाहर की ओर। लाइको-12 दिन में तीन बार दें। सूरज या गैस की रोशनी की तरफ देखने से आँख में दर्द बढ़ना। सल्फर-30 दिन में दो बार दें।
धूप या तेज रोशनी से आँख में दर्द बढ़ना। मर्क 3 दिन में तीन बार दें। रात के समय आँख में दर्द। सिफलिनम-30 दिन में तीन बार दें। सेंकने से आँख का दर्द बढ़ना। सल्फर-30 दिन में तीन बार दें। आँख में अकड़न अथवा दर्द बढ़ना ब्रायोनिया-3, या 6 दिन में तीन बार दें।
आँख में अकड़न अथवा दर्द, बच्चा आँख छूने तक न दे। बेलाडोना-3 दिन में तीन बार दें। आँख में अकड़न जैसा अनुभव हो। अर्जे नाई 6 दिन में तीन बार दें। आँख सेंकने से दर्द कम होना। हिपर सल्फर-6 चार घण्टे के अन्तराल से दें।
4. आँख का प्रदाह (Inflammation of eye)
बच्चों में नेत्र प्रदाह की उत्तम दवा है अर्जे नाईट्रिकम इसे चार चार घण्टे के अन्तर से दें। बच्चों में नेत्र प्रदाह का कारण सर्दी, ओस या अधिक रोशनी लगने से हो, बेचैनी, नींद न आना, आँख से अधिक पानी गिरना, पुतलियों का लाल हो जाना इन लक्षणों पर एकोनाइट 3 तीन बार चार-चार घण्टे के अन्तर से दें। नेत्र प्रदाह चेचक की बीमारी के बाद हो। एपिस मेल 3, तीन बार चार-चार घण्टे से दें।
नेत्र प्रदाह चोट लगने के कारण। अर्निका 3 चार-चार घण्टे से दें।
पलकों का फूलना तथा लाल होना, और कभी-कभी रक्त स्राव होने पर । बेलाडोना 3 चार-चार घण्टे से दें। पलकों की सूजन और उनकी जड़ों में पीप इकट्ठा हो जाने पर मर्कसोल 6, चार-चार घण्टे से दें।
5. बच्चों की आँख से पानी गिरना (Lachrymation from eye)
आँख से पानी गिरना। आर्स 30 चार घण्टे के अन्तर से दें। आँख से गर्म पानी गिरना पल्स-3 चार घण्टे के अन्तर से दें। आँख से तेल जैसा पानी गिरना। सल्फर-30 चार घण्टे के अन्तर से दें।
6. आँख के सामान्य रोग (General diseases of eye)
आँखें शरीर का एक विशेष अंग हैं जिसके द्वारा हम एक दूसरे को और सब कुछ देख सकते हैं। आँखों में विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं जिनके अनेक कारण होते हैं जैसे मस्तिष्क के रोग, रक्त स्राव, उन्माद रोग, पारी वाला ज्वर, आमाशय की गड़बड़ी, ऐंठन के दौरे, मस्तिष्क में रक्त संचय होना, धुएँ में काम करना, गर्मी सर्दी होना, आदि। जब बच्चे की आँख से पानी बहे नैट्रम म्यूर 30 की 2-3 मात्रा दें। शिशु की आँखें सूज जाएँ जिसका कारण तेज प्रकाश हो। आँखें लाल और आँख से स्राव बहे। एकोनाइट 6 की 2-3 मात्रा दें।
शिशु की आँखों की पलकें सूज जाएँ उनसे खून आए। सुबह के समय चिपक जाएँ और पीले रंग का स्राव आए। कैमोमिला 6 की 2-3 मात्रा दें। • शिशु की आँखें अधिक लाल और उसमें से गाढ़ा मवाद आए। पल्स 6 की 2-3 मात्रा दें।
बच्चे में ठण्ड के कारण आँख सूजना जिसके कारण बच्चा बेचैन रहे। आँख लाल हो जाए। बच्चा प्रकाश की तरफ देखना पसंद नहीं करता। कभी-कभी आँख से खून आए। बेलाडोना 30 की 2-3 मात्रा दें। ऊपर की पलकों का सूजना, लाल हो जाना और आँख से चिपचिपा पदार्थ निकले। कैल्के कार्ब 30 की दो मात्रा दें।
बच्चों में आँख की तकलीफ ठण्ड के कारण हो जाए। खून निकले और ठण्डी रहे, खोलने में कठिनाई हो । बच्चा किसी भी तरह आराम महसूस ना करे। पलकें अधिक सूज जाएँ। उसके अन्दर से चिपचिपा पदार्थ निकले, जिसके कारण आँख के चारों तरफ सफेद-सफेद पदार्थ की पपड़ी जम जाती है। मर्क वाइवस 30 की 2-3 मात्रा दें।
आँख में सूजन, लाल होना, व खुजली होना। आँख के किनारे सूखे-सूखे से। सल्फर 200 की एक मात्रा सुबह दें। (वे बच्चे जिनके माता-पिता चर्म रोग से ग्रसित हों तो यह दवा अति उत्तम है)। आँख पर बच्चे की मुट्ठी से चोट लग जाए। सिम्फाइटम 200 की एक मात्रा दें।
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